Book Title: Vasunandi Shravakachar
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
View full book text
________________
प्राकृत शब्द-संग्रह
२०९
रिक्ख रिद्धि रिसि
राव ऋक्ष ऋद्धि ऋषि
शब्द रीछ सिद्धि
३६३ १६२ ३३० ४२१
साधु
वृक्ष
पड़
रुद्द
२२८ १३३
रुद्रदत्त रुद्रवरनगर
रुद्दवरगयर रुद्ध रुप्पय रुपय, रुप्पि रुभित्ता रुयण
रोषयुक्त कुध्यान, भयानक व्यक्ति विशेषका नाम एक प्राचीन नगर रुका हुआ चादीका बना रुपया रोककर रोना रक्त, खून वर्ण एक प्रकारका ध्यान रूपातीत धर्मध्यानका एक भेद
३६० ४३५ ५३४
रूप्यक रौप्यक रुन्ध्या रुदन रुधिर रूप रूपस्थ रूपवर्जित रूपी
१४४
१६६
रूवत्थ रूववज्जिय
४५८
रूवि
मूर्तिक
रेवई
रेवती
५३
रेफ, रेखा
४६५
रेखा
दरिद्र
रोम
४७० २३५ २३० १८६
रोम
रोय रोवंत
चौथे अगमें प्रसिद्ध रानी रकार, पंक्ति, श्रेणि चिह्न विशेष, लकीर निर्धन बाल, केश बीमारी रोता हुआ क्रोधित रोकना, अटकाना एक नक्षत्र राग-युक्त
रोग रुदन् रोषाविष्ट रोधन रोहिणी रजिस
रोसाइट्ठ रोहण
१४५ १८१
रोहिणी रजिअ
लउडि
७५
लक्ख लक्षण लग्ग लच्छी लच्छीहर *लज्जणिज्ज लद्धि * लघृण ललाट
लकुटि लक्ष लक्षण लग्न लक्ष्मी लक्ष्मीधर लजनीय लब्धि लब्ध्वा ललाट
लकड़ी लाख संख्या ' चिह्न विशेष मेष आदि राशिका उदय सम्पत्ति, वैभव लक्ष्मीका धारक, वासुदेव लज्जाके योग्य क्षयोपशम विशेष, यौगिक शक्ति, ऋद्धि प्राप्त करके मस्तक, भाल
9rWS 9 mro
JcK
७७
५२६ १६३ ४६२

Page Navigation
1 ... 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224