Book Title: Vasunandi Shravakachar
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 191
________________ पडि प्रति प्रतिग्रहण प्रतिचीन प्रतिजाग्रण प्रतिबुध्य प्रतिबिम्ब प्रतिमा पतित पडिगहण पडिचीण पडिजग्गण पडिवुभिऊण पडिबिंब पडिमा पडिय पडियरण पडिलिहणं पडिलेवपडिमा *पडिलेहिऊण *पडिवजिऊण पडिवा पढम पणम पणस पणिवाय पण्ण पण्णत्त पण्णरस पण्णास प्रतिचरण प्रतिलिखन प्रतिलेपप्रतिमा प्रतिलेख्य प्रतिपद्य प्रतिपद् प्रथम प्रणम, प्रणाम पनस प्रणिपात पर्ण प्रज्ञप्त प्राकृत-शब्द-संग्रह १९९ विरोध, विशेषता, वीप्सा, प्रत्यावर्तन, प्रतिदान, बदला, प्रतिनिधिपना, प्रतिषेध, प्रतिकूलता, समीपता,अधिकता,सदशता, लघुता, प्रशस्तता, वर्तमानता आदि सूचक अव्यय ३५४ बदलेमें लेना २२५ चीनी वस्त्र या चीनी वस्त्र-जैसा ३६८ जागने वालेके पीछे तक जागना ३३६ प्रतिबुद्ध होकर, जागकर ४६८ प्रतिमा, प्रतिच्छाया ४४४ मूत्ति गिरा हुआ सेवा-शुश्रूषा ३२२ प्रति-लेखन, निरीक्षण ३२६ लेपकी हुई मूर्ति प्रतिलेखन करके २८५ प्राप्त होकर ५१८ एकम तिथि ३६८ पहला ३८३ नमस्कार २२५ फल-विशेष ४४० नमन, बदन ३२४ पत्र, पत्ती ४२१ निरूपित, कथित • २१ ३७० पचास ५४६ दल, पत्ता २६५ दान देने योग्य, अतिथि, भाजन, बर्तन २२१, ३०७ मिला हुआ पात्र-संबधी भेद एक-एक हितकर भोजन २३.६ अभिलाषा, याचना, मॉगना छठा गुणस्थान सम्यग्ज्ञान, सादर, मान, योग्य विभक्त्यन्त पद, चरण १,४३० दूध, जल, व्यक्त ५१५ स्वभाव, मार्ग (दे०) ३०१ चेष्टा, उद्यम, प्रवृत्त, प्रदत्त पदका विषयभूत अर्थ ध्यान-विशेष स्थान-च्युत पंचदश पन्द्रह पत्त पञ्चाशत (पत्र पात्र (प्राप्त पात्रान्तर प्रत्येक पथ्य प्रार्थना प्रमत्तस्थान प्रमाण पत्त र पत्तेय पत्थ पत्थरणा पमत्तठाण पमाण पय २२० Our पद पयड पयडि पयत्त पयस् प्रकट प्रकृति प्रयत्न mr (पदार्थ पयत्थ (पदस्थ पदभ्रष्ट . पयभट्ट

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