Book Title: Vasunandi Shravakachar
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 192
________________ २०० वसुनन्दि श्रावकाचार पयर ५३१ पयला पयात्र पयार प्रतर । प्रकर प्रचला प्रताप प्रकार (प्रकाश प्रयास प्रकाशित प्रदक्षिणा पयास पयासिय पथाहिण पर पर परदो परमट्ट परमाणु परमेष्ठी परतः परमार्थ परमाणु परमेष्ठी GKKM २७५ १६० परयार परसमयविदू परस्स पराहुत्त परिउट्ठ परिग्गह परिणय परिणइ परित्थी परिभोय परियत्त परियत्तण परियरिय परियंत परिरक्खा परिवाडी परिवुड +परिवेवमाण परिसम परिसेस परिहि 'परूवय परोक्ख पलायमाण पलाव पल्ल पल्लाउग १६४ एक समुद्धात, पत्राकार, गणित विशेप समूह निद्राविशेष, एक कर्म ५२४ तेज ३४५ भेद, रीति २५० दीप्ति २५४ उद्यम प्रकाश किया हुआ १४ दाहिनी ओर घूमना प्रधान, श्रेष्ठ, अन्य अनन्तर, आगे यथार्थ, सत्य सबसे छोटा पुद्गलका अग परम पदमे स्थित–अर्हन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु परस्त्री परमतका ज्ञाता ५४२ पर-धन १०२ विमुख, पराभूत, अपमानित वेष्टित ४७३ धनादिका सग्रह परिपक्क, विवाह परिणमन पराई स्त्री जिसका बार-बार उपभोग किया जाय २१८ परिभ्रमण ५१७ ३३८ परिवृत्त, परिवेष्टित समीप सर्व ओरसे रक्षा ३३८ परम्परा घिरा हुआ ४०६ कंपता हुआ मेहनत २३६ अवशेष घेरा, परकोट ४८२ निरूपण करनेवाला अविशद ज्ञान, पीठ पीछे, ३२५ भागता हुआ ६५ अनर्थक-भाषण, बकवाद माप-विशेष २५६ एक पल्यकी आयुका धारक २६० परदार परसमयविज्ञ परस्व पराडमुख परिवृत्त परिग्रह परिणत, परिणय परिणति परस्त्री परिभोग परिवर्त परिवर्तन परिकरित पर्यन्त परिरक्षा परिपाटी परिवृत्त परिवेष्यमान परिश्रम परिशेष ४५६ ४६१ १२१ ८६ परिधि प्ररूपक परोक्ष पलायमान प्रलाप पल्य पल्यायुष्क १४२

Loading...

Page Navigation
1 ... 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224