Book Title: Vasunandi Shravakachar
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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१९८
वसुनन्दि-श्रावकाचार
धौत
धोय धोवण
प्रक्षालित, धोया हुआ प्रक्षालन, धोना
धोवन
५३२
३५६
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2
३५६
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पइट्ट पइट्रिय पइट्ठयाल पइट्टलक्षण पइटुसत्थ पइट्ठा .पइट्ठाइरिय पइराण पईव पउर पउलण पपस पक्कण्ण *पक्खालिऊण पञ्चक्ख पञ्चक्खाण पच्चूस पच्चेलिउ पच्छा पच्छिम
प्रतिष्ठ, प्रविष्ट प्रतिष्ठित प्रतिष्ठाकाल प्रतिष्ठालक्षण प्रतिष्ठाशास्त्र प्रतिष्ठा प्रतिष्ठाचार्य प्रकीर्ण प्रदीप, प्रतीप प्रचुर, पौर प्रज्वलन प्रदेश पक्कान्न प्रक्षाल्य प्रत्यक्ष प्रत्याख्यान प्रत्यूष प्रत्युत पश्चात् पश्चिम पर्यात पर्याप्ति पर्यायात्मक पर्याय प्रज्वलित पट्ट
प्रतिष्ठा, प्रवेश हुआ प्रतिष्ठा-प्राप्त प्रतिष्ठा-समय प्रतिष्ठा-लक्षण प्रतिष्ठा-शास्त्र स्थापना प्रतिष्ठा करानेवाला आचार्य
३८६ प्रक्षिप्त, विस्तीर्ण, प्रतीर्ण,
२८० दीपक, प्रतीप-प्रतिकूल, शत्रु
४८७ बहुत, पुर-सम्बन्धी, नगरमे रहनेवाला जलाना
१८० अविभागी क्षेत्रांश पकवान प्रक्षालन करके
२८२ विशद, स्पष्ट, अतीन्द्रिय ज्ञान
१२३ त्यागका नियम
३१० प्रभातकाल वैपरीत्य, बल्कि
११८ पीछे, अनन्तर
३६२ एक दिशा, पिछला
२१४ पर्याप्तिसे युक्त, समर्थ, शक्तिमान् शक्ति, सामर्थ्य पर्यायस्वरूप एकक्षणभावी अवस्थाविशेष दग्ध, जलाया हुआ पहननेका वस्त्र, रथ्या, मुहल्ला, रेशमी
कपड़ा, सनका कपड़ा, पाट, अधिकारपत्र, काष्ट-पाषाणका फलक, तख्ता, ललाटपर बॉधनेका पट्टा।
२५६ नगर प्रारम्भ
१५७ कमल वस्त्र गिरना समूह, सघात, वृन्द ध्वजा
१३
१३६
पज्जत्ति पज्जयप्पय पज्जाय पज्जलिय
५२६ ५२८
पट्टण पट्ठवण पुट्टि
पत्तन प्रस्थापन पृष्ठ
२१० ३७७
पीठ
पउम
पन
४३१ ४२०
!!!
पट पतन पटल पताका
१५० ४३७ ४६२
पडाया

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