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५३१
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२८५
३०६
कपाट कपित्थ कषाय कथ कथा कापुरिस कायोत्सर्ग कृत्वा कामरूपित्व काय कायक्लेश कत्तव्य कारापक कारित कास्क
वसुनन्दि-श्रावकाचार
कपाट, एक समुद्धात विशेष कैथ, एक फल क्रोधादि परिणाम कैसे, किसी प्रकार कहानी, चरित्र कायर पुरुष शरीरसे ममत्वका त्याग करना करके इच्छानुसार रूप-परिवर्तनकी ऋद्धि शरीर शरीरको कष्ट देनेवाला तप करने योग्य कार्य करानेवाला कराया हुआ शिल्पी, कारीगर समय, मरण चन्दन विशेष वाद्य विशेष, महाढक्का कुक्कुट, मुर्गा करके बनाया हुआ स्तुति करना क्षुद्र कीट कीट-समूह
५१४ ३४८ ५१३
७६ ३१६ १५
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काल
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कवाड कवित्थ कसाय कहं कहा काउरिस काउस्सग्ग काऊण कामरूवित्त काय कायकिलेस कायव्व कारावग कारिद कारुय काल कालायरु काहल किकवाय *किच्चा किट्टिम कित्तण किमि किमिकुल (किरिय किरिया किरियकम्म किराय किलिस्समाण किलेस किदिवस कीड *कुत्थ कुभोयभूमि
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कालागुरु काहल कृकवाक कृत्वा कृत्रिम कीर्तन
२८४
कृमि
कृमिकुल
४५३
८५ १६६ २४, ३२
क्रिया
व्यापार, प्रयत्न
२८३
क्रियाकर्म किरात क्लिश्यमान क्लेश किल्विष
२०२
२३६ १६४ ३१५
कीट
शास्त्रोक्त अनुष्ठान विधान भील क्लेश युक्त होता हुआ दुख, पीडा पाप, नीच देव जंतु, कीड़ा कहा, किस स्थानमें कुत्सित भोगभूमि चन्द्र-विकाशी कमल खोटा पात्र जाति, यूथ मिथ्यामती कमल कु+ बलय भूमंडल क्रोधित कूलता हुआ
कुत्र कुभोगभूमि कुमुद कुपात्र कुल वंश कुलिंग कुवलय
३६१ ५४० २२३
कुपत्त
कुलिंग कुवलय कुवित्र +कुब्वंत
३८५ ४२६
कुपित
७५
कुसुम
१८८ २२८
पुष्प