Book Title: Vasunandi Shravakachar
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 187
________________ प्राकृत-शब्द संग्रह १ तेरह तेरसि तेवटि तंडुल तंबय तंबोल. त्रयोदश त्रयोदशी त्रिषष्ठि तन्दुल ताम्रक ताम्बूल तेरह तेरहवी तिथि तिरेसठ चावल तॉवा पान मुख तीस तोष सतोप • GROcti GKCK8 MUNN r स्थल भूमि थल (थाला थाली थावर थिर स्थाली थाली 'स्थावर स्थिर स्तुति स्तुत्वा स्तूयमान 688 ५०३. ३७८ स्तोत्र एकेन्द्रिय जीव अचल गुण-कीर्तन स्तुति करके स्तुति किया जाता हुआ स्तुति-पाठ मोटा स्थूल व्रत स्तुति किया जाता हुआ औदारिक काययोग एकदेश नियम अल्प, #थुणिऊण थुणिज्जमाण थुत्त थूल थूलयड +थुव्वंत थूलकायजोग थूलवय ५०३ २०६ २१२ स्थूलकृत स्तूयमान स्थूलकाययोग स्थूल व्रत ०, ५३३ २११ थोक स्तोक थोग थोड़ा २६८ थोव " थोत्त स्तोत्र ४८० ४५७ दक्षिण टळूण दक्षिण दृष्ट्वा दग्ध २१४ १६३ १६२ ८६ दर्पण दप्प दप्पण दमण दलण ४०० दमन दक्षिणदिशा, निपुण, चतुर, दाहिना देखकर जला हुआ, अहकार शीशा, आदर्श वश में करना, दमन करना दलना, पीसना अनुकम्पा वस्तु, धन पुस्तक ग्रन्थ सख्या विशेष दशका समूह तिथि विशेष दश प्रकार १८० १८० दया दव्य दलन दया द्रव्य द्रव्यश्रुत दश दशक दशमी दशधा दव्वसुद दस दसय २८७ ४५० १७४ ५२५ ३६६ २५१ दसमी *दसहा

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