Book Title: Vasunandi Shravakachar
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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प्राकृत-शब्द-संग्रह
१८९
३१५ १४५ ४५२
४३१
उद्दिट्ट उद्दिट्टपिंडविर
दुर उप्पराण उप्पत्ति उप्पल *उप्पजिऊण उप्पह *उप्पाइऊण उन्भिरण *उब्भिय उल्लोविऊण उवयोग उवकरण उवग्रहण उवयरण
१६२ १०२ २६८ ४१४ ४१६
३९८
२८४
३२६
उद्दिष्ट उद्दिष्टपिडविरत उन्दुर उत्पन्न उत्पत्ति उत्पल उत्पद्य उत्पथ उत्पाद्य उद्भिन्न ऊध्वित, ऊर्वीकृत उल्लोकयित्वा उपयोग उपकरण उपगृहन उपकरण उपकार उपचार औपचारिक उपलम्भ, उपालंभ उपरि उपरोध उदधि; उपधि उपपाद उपपादग्रह उपपेत उपवास उपेत उद्वर्तन
४८ ३०२
उवयार
सकल्पित, कथित सकल्पित भोजनका त्यागी मूषक, चूहा उद्भूत प्रादुर्भाव कमल उत्पन्न होकर उन्मार्ग, कुमार्ग उत्पन्न होकर अंकुरित, खड़ा हुआ ऊँचा किया हुआ चॅदोवा तानकर
चैतन्य, परिणाम पूजाके वर्तन, साधन, सामग्री प्रच्छन्न, रक्षण, सम्यक्त्वका पाचवां अंग सामग्री भलाई, परोपकार पूजा, आदर, गौण उपचारसे सबंध रखनेवाला प्राप्ति, उपालभ, उलाहना ऊपर आग्रह, अड़चन समुद्र, परिग्रह; उपाधि, माया देव या नारकियोंका जन्म प्रसूति-भवन युक्त, सहित भोजनका त्याग सयुक्त उबटन, शरीरके मैलको दूर करने वाला द्रव्य उद्वर्तन करना, क्षीण करना किसी गतिसे बाहर निकलना धारण करना कषायका अभाव सुशोभित
३२० ३२५ २७
३६५
उवयारिय उवलंभ उवरि उवरोह उवहि उववाय उववादगिह उववेद उववास उवेद उव्वट्टण उवत्तण उव्वट्टिय उव्वहंत उवसम उवसोहिय उसिण उस्सिय उवहारड्ड उवाय उवासयज्झयण उम्बर
४१५ ३८६ २८३ ३६० २६६ ३३६ ५०६
१६१
३६५
गर्म
उद्वर्तित उद्वहन्त उपशम उपशोभित, उष्ण उछ्रित, उत्सूत उपहाराव्य उपाय उपासकाध्ययन उदुम्बर
१३८ ५०५ ३६४
ऊँचा किया हुआ उपहारसे युक्त साधन श्रावकाचार गूलरका फल या वृक्ष
११४
२१३
ऊसर
ऊपर
क्षारभूमि, जिसमें अन्न उपज न हो
२४२

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