Book Title: Vastupal Tejpal no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 11
________________ ( १० ) सूरीश्वरु, शास्त्र त अनुसार ॥ वाम अंगे मसा कहुँ, जंघा स्तन तिल कर मकार ॥ २ ॥ लक्षणवती ते मानिनी, कवि किम वर्णवी जाय ॥ सराज मनमां वसी, ए मुज घरणी थाय ॥ ३ ॥ घरणी विना घर किस्युं, घरणी विना नहीं सार ॥ घरणी विना जग जीव्युं किस्युं, घरणी विना नहीं सुख संसार ॥ ४ ॥ मुज घरणी हवे ए करूं, सुख विलसुं जि राम ॥ करूं धारेलुं ए नारीशुं, परणतां नहीं मुज दाम ॥ ५ ॥ कुमरी मनमां कतु नहीं, कामी धरतो नेह ॥ एक पखी किसी प्रीतमी, जबक देखाडे बेह ॥ ६ ॥ ॥ ढाल त्रीजी ॥ ॥ राग मारुणी ॥ जोला मूल मांदे ॥ एदेशी ॥ बाली जोली जामनी जामे नवि पडे रे, पाले समकित सार ॥ ब अहम तप पोसा अंगे आदरे रे, जाणे थिर संसार ॥ १ ॥ कीधां कर्म जीव जोगवे रे, कीधाने अनुसार, एम बोले जिन निरधार ॥ की धां० ॥ ए आंकणी ॥ रूपे रुमी शीले सोहे सुंदरी रे, न करे पुरुषनो संग ॥ कामी पुरुष ते केमन मूकतो रे, कुमरी मन नहीं रंग ॥ २ ॥ कीधां० ॥ लंपट लालची लोजी ते लवे रे, तुं मुज हियानो हीर ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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