Book Title: Vastupal Tejpal no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 73
________________ (७५) ॥ ढाल॥ ॥ नानो नाहलो रे॥ ए देशी ॥ धवलकपुर सोहामणुं रे, त्यां ते बालकनो वास के, वारु वाणी रे॥ जंच कुलनो जाणीए रे, प्राग वंश शणगार के,नानो बादुमो रे॥१॥जसोधर कहुं व्यवहारी रे, तेहनो पुत्र कहीवाय ॥ वारु० ॥ आयु पूरी एहनो तातजी रे, पोहतो ते परलोक के ॥ ना ॥२॥ लघुपणे हुँ ढुं एकली रे, मूकी गयो ते नर्त्तार ॥वा॥ दोहिले बालक उबेरती रे, यौवन माहीं जाय के ॥ना ॥३॥ दिवस दोहिले हुँ निगमुं रे, रजनी किमह न जाय ॥ वा ॥ अहनिश समरं पुत्रना तातने रे, मुज यावे पीउनुं ध्यान ॥ ना॥४॥ पूरव क्रीमा मुज सांजरे रे, सांजरे माहरो नाद के ॥वा॥ आठ गुणो काम कामनी रे,पूरो केम न थाय के॥ ना॥५॥पीयुपाखे शुं जीवq रे, ज्यां जाये त्यां रांग के ॥ वा० ॥ न्यात साजन नवि जाणतां रे, बालीवेशे थालं नाम के ॥ना॥६॥ मोटां मंदिर मालीयां रे, एकलां रयणी न जाय के ॥ वा ॥ कृपा करो करुं हुं नाहलो रे, ए साथे चूके न्याय के ॥ ना ॥७॥लाज मूकी नारी त्यां लवे रे, उनी रावले चोक के ॥ वा ॥ फिट Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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