Book Title: Vastupal Tejpal no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(१०३) विमलचं उद्योतन लहुँ,श्रीसर्वदेव सूरि बत्रीशो रे॥ तस पाटे श्रीदेव सूरि, श्रीसर्वदेव सूरि अमत्रीशो रे ॥७॥वी॥श्रीयशोज श्रीनेमिचंद्र सूरि, मुनिचंद अजितदेव सारो रे॥श्रीविजयसंघ सरि हवा, सोमनऊ मणिरत्न दो गणधारो रे॥॥वी०॥ जगतचंड सूरिजग जाणीए,श्रीदेवें सूरि उदारो रे॥ विद्यानंद धर्मघोष दो कहुँ, सोमप्रन सूरि सोमतिलक जयकारो रे ॥ ए ॥ वी० ॥ देवसुंदर सोमसुंदर सूरि, मुनिसुंदर सुरिवर सोहे रे ॥ रत्नशेखर सूरि बटुं, लक्ष्मीसागर मन मोहे रे ॥ १० ॥ वी० ॥ सुमति साधु हेम विमल सूरि, आनंदविमल सूरि राजेरे॥ श्री विजयदान सूरीश्वरु, तप गडपति गुरु बाजे रे॥१९॥ वी० ॥ तस पाटे दिनकर दीपतो,श्रीहीरविजय सूरि जगगुरु जाणो रे॥शाह अकब्बर प्रतिब्रजवी, कीधा जगत्रय आशाणो रे ॥ १२ ॥ वी० ॥ सरोवरजाल बोमावीयां, बगेमाव्यां बानज लाखो रे ॥ डोमाव्यो जगजीउँ, शाह अकब्बर जगगुरु नाख्यो रे॥१३॥वी०॥ सा कुमरा कुले जाणीए, नाथी बार कुख मल्हारो रे॥ श्रीविजयदान सूरि शिष्य कडं, हीर विजय सूरि जगत्रय आधारो रे॥१॥ वी॥तस पट मंदिर सुंदरु,
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