Book Title: Vastupal Tejpal no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 77
________________ (७६) देवी त्यां गश्, मंदिर स्वामीने पूछे सही ॥ वस्तुपाल जव कहो स्वामी आज, ततक्षण वदे ते महाराज ॥ १७ ॥ देवी आवीने गुप्त कहे, माणिकला सूरि मन सदहे ॥ मंत्री आगल हवे गुरु वदे वाच, वस्तुपाल सदहे सघj साच ॥ २७ ॥ तिलकावती तुज कहुं अवतार, गुणसागर तुम्हे तातज सार ॥ लीलावती माता तुज सही, लघुपणे धर्म तें कीधो वही ॥ १५ ॥ जिनदत्त नाम ते ताहरु सही, उत्तम कुल तुं श्रावक लही ॥ सूधे मन आराधे धर्म, शास्त्र सिहांत सवि जाणे मर्म ॥ २० ॥ दान दीए निज काया दमे, पाप परिग्रह तुज नवि गमे॥क्रोधमान माया लोन परिहार, समकितधारी तुं श्रावक सार॥१॥ दान शील तप नाव मन धरे, उन्नय काल पमिकमj करे ॥साध सुधर्मी सरसी गोठ, केहर्नु न बोले विरुवं होठ ॥ ॥ साधु साध्वीने दीए बहु मान, सुऊतां दीए वली अन्न पकवान ॥ वस्त्र पात्र दीए नझास, अनित्य नावना नावे खास ॥ २३॥ सरल खनावे शील दृढ रहे, देव गुरु धर्म ते साचो कहे ॥ अढार पापस्थान पूरे करे, पुण्ये पोतुं पोते जरे ॥ २४ ॥ एक दिवस ते नगर मजार, शालधर साधु For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainelibrary.org

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