Book Title: Vastupal Tejpal no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 90
________________ (UU) ॥ ढाल ॥ ॥ प्रौढ प्रासाद नीपावीर्ज ए, चितरी नेम जिन जान ॥ म० ॥ स्तंज मंरुप कोरी पूंतली ए, ते दीपे जिस्यो देवविमान ॥ ० ॥ १ ॥ रंगमंरुप रलियामा ए, खेला मंरुप सार ॥ ० ॥ ढार शत फरती पूतली ए, जांवसही उदार ॥ म० ॥ २ ॥ विमलवसही सादमुं वली ए, हस्ती शाला तिहां कीध ॥ म० ॥ जंन्नत प्रौढ पर्वत जिसा ए, जैले एकावन प्रसिद्ध ॥ म० ॥ ३ ॥ सप्त शुंभादरुज कहीए ए, श्वेत ऐरावण समृद्ध ॥ म० ॥ द्रव्य खरचे बहुलुं तिहां ए, जगमां जश बहु लीध ॥ म० ॥ ४ ॥ शिखरबद्ध प्रासाद नीपन्यो ए, इडुं नीपायुं तेणी वार ॥ म० ॥ सोवन कलश नले मूरते ए, ध्वजा चढावी सुखकार ॥ म० ॥ ५ ॥ माय मनोरथ त्यां फट्याए, सत्तर भेदे पूज्या जिनराय ॥ म० ॥ हवे प्रभु दरबारे निरखतां ए, देराणी जेठाणी तेणे वाय ॥ ० ॥ ६ ॥ पदमिनी पीयु प्रते विनवे ए, स्वामी सुखी यो म्ह आज ॥ म० ॥ श्रम्ह नामे इहां द्रव्य खरची एए, जिम सरे अम्हारां काज ॥ म० ॥ ७ ॥ वली विनय करीने विनवे ए, लली लली ललितादे नार ॥ म० ॥ वचन अनोपम बोलती ए, अ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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