Book Title: Vastupal Tejpal no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( ३३ ) राजकुली सांजले, जो दीसे प्रधान ॥ मे० ॥ जानु सम जले यवीया, राजा दीए बहु मान ॥ मेरे० ॥ ४ ॥ वारु० ॥ रूपे राजा रंजी, वचन वदे टंकशाल ॥ मे० ॥ राजधानी राजा इंद्र तणी, करी श्रापुं ते रसाल ॥ मे० ॥ ५ ॥ वारु० ॥ बोल कोल राजा करे, sura aid निरधार ॥ मे० ॥ काज सिद्धां हवे आपणां, नगर दुवो जयकार ॥ मे० ॥ ६ ॥ वारु० ॥ प्रधानवटी त्यां
पतो, आपे वस्त्र वली पंच ॥ मेरे० ॥ कटारुं दीए देशनुं, उदयन उपर परपंच ॥ मे० ॥ ७ ॥ वारु० ॥ पुण्ये प्रधान वली ए मल्यो, एम जंपे लोकना थोक ॥ मे० ॥ राजा प्रजा सुख पामीयां, ए साचो सोन रोक ॥ मे० ॥ ८ ॥ वारु० ॥ कटक सेना सद्ध करी, पहिरे ससह बगतर सार ॥ मे० ॥ सहस्र पांचने माजने, ज वींठ्युं उदयन घरबार ॥ मे० ॥ ए ॥ वारु० ॥ सुतो साझो सुखी, उदयन मेतो जोय ॥ मे० ॥ जकमबंध बांध्यो बंध, कीधां कर्म जोगवे सोय ॥ मे० ॥ १०॥वा० ॥ कर साही मुंइ नाखी, पासे बेठो ते वस्तुपाल ॥ मे० ॥ घर खोदावे ते हनुं, शाबास दीए भूपाल ॥ मे० ॥ ११ ॥ वारु०॥ वेर पोतानुं वालतो, हिया उपर मांचो वाल ॥ मे० ॥ बोल संजारयो बंधवा तिहां, पाग बांधे वस्तुपाल
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वस्तु० ३
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