Book Title: Vastupal Tejpal no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 48
________________ (४७) घणा पाखस्या, सूर सुनट ते हरखे नया ॥ ए॥ चउरंग सेना लेश संचरे, प्रस्थाने वीरधवल उतरे ॥ वस्तग तेजपाल बंधव वहे, करजोमी राय बागल रहे ॥ १० ॥ ए बीडु आपो अम्हने आज, तुम्ह वैरी अणा लाज ॥ बडेप्पीआणे मंत्री बे जाय, वैरी वढवा साहमो थाय ॥ ११ ॥ बेहु दल वढे त्यां गुजार, तीरे तीर जालां करवार ॥ पायक सबल वाहे हथियार, नीमसेन नागे तिहि वार ॥१२॥ प्रधान हाथ दीग आकरा, घणे पुरुषे कीधा साथरा ॥जीमसेननी नागी फ, गढमां जश्ने पोलज दीक ॥ १३ ॥ तव प्रधान रह्यो गढ वींटी करी, राजाने वीट्यो ते फरी ॥ धर्मद्वार मागे मंत्री पास, वस्तुपाल काढी मूके तास ॥१४॥ नगरलोक यावी प्रणमे पाय, प्रधान देखी रलियातज थाय॥कहे वीरधवसनी मानो आण, पमहो वजावो चतुर सुजाण ॥ १५ ॥ आण मनावी गढमां जाय, धन देखी त्यां हरखज थाय ॥ नंमार पेखे बहु धन नख्या, मुडा करीने पाबा फस्या ॥ १६ ॥ जयपताका मंत्री वरी, निज राय पासे आवे फरी॥राजा कहे तुम्हे महा सुजट, एका बेग करो गहगट्ट ॥ १७ ॥ एक Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110