Book Title: Vastupal Tejpal no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 46
________________ (४५) रा० ॥ ते देवी कह्याथी बाणज मूके, शंख पाड्यो करथी दूर रे ॥ तेजपाल जीत्यो राय हास्यो, शंख सेना करी चकचूर रे ॥ १२ ॥ रा० ॥ तेजकुमर तेजे करी दीपे, जय वरी यावे निज देश रे ॥ शंख राजाने बांधी लावे, जसे दिवसे नयरे करे प्रवेश रे ॥ १३ ॥ रा० ॥ मंत्रीश्वर यावी पाये नमतो, करतो रायने नेट रे ॥ तुम्ह चरणे ए बांधी आयो, दीन काजल कांचली जरे पेट रे ॥ १४ ॥ रा० ॥ मंत्री वचने ते तिमज करतो, पढेरे सामो कांचली सार रे ॥ नारीवेशे शंख जवर जरतो, हवे करुणा करे मंत्री उदार रे ॥ १५ ॥ रा० ॥ बंधज कापी शंखना, तेहने दीधो पाठो देश रे || एहवो उपकार मंत्री करतो, दीए वली त्यां नरवेश रे ॥ १६ ॥ रा० ॥ बीजो प्रधान तेजपाल कीर्ज, हु जयजयकार रे || गणि रंग विजय सेवक इण परे बोले, ए बीजो युद्धअधिकार रे ॥ १७ ॥ रा० ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ शंखराज पाये नम्यो, माने वीरधवलनी आए ॥ वेरीअंतज आणीया, राय करे मंत्री वखाण ॥ १ ॥ ॥ चोपाइ ॥ ॥ हवे सुख विलसे सहु निज थान, राजा दीए For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International

Loading...

Page Navigation
1 ... 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110