Book Title: Vastupal Tejpal no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(५७) सहु पेखे राणा रायो जी ॥ १५ ॥ दा॥ राजा मन जांखो थयो, चुगल हु निराशो जीनगर बाहिर चामी काढी, राय मंत्री हो सुखवासो जी॥१३॥ दा॥ बेहु बंधव राये मानीया, कीधा लाख पसायो जी ॥ जयजयकार नगरे हुर्ड, ते तो धर्म तणे पसायो जी ॥ १४ ॥ दा० ॥
॥दोहा॥ ॥ दान तणे पसाउले, माने राणा राय ॥ दाने दारिद्य पूर करे, दाने प्रणमे सहु पाय ॥१॥
॥चोपाई॥ .॥ दाने राजा रंजे बहु, वस्तपाल प्राक्रम जाणे सहु ॥ पूर्व पुण्य एणे कीधां घणां, ए शछि पाम्यो फल तेह तणां ॥ १॥ दाने शालिज पाम्यो नोग, दाने किंवन्नो सर्व संयोग ॥ दाने मूलदेव पाम्यो राज, दाने चंदनबाला सिझां काज ॥२॥ धनावो शेठ दीए घृतदान, तीर्थंकरपद पामे झान ॥ जिनदास शेठ ते साथू दीध, कांकरा टली ते रतन रिक॥३॥ उत्तम कुमरे जीर्ण वस्त्र दीध, वस्तग तेजपाल एमज कीध ॥ उत्तम पाम्यो अनंती रिक, वस्तपाल पाम्यो सकल सिक॥४॥ दाने महिमा
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