Book Title: Vastupal Tejpal no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 65
________________ (६४) न लोपे कदा, सूत्र सिद्धांत आगम जाणे सदा ॥ अबोध जीवने दीए प्रतिबोध, जिनशासनमां कहीए योध ॥ १२ ॥ ए गुरुनी अवज्ञा करी केम, शीख दीधा विण जीमवा नेम ॥राय न लोपे माहरी वाण, लोक सहु माने मुज आण ॥ १३ ॥ एहवो उन्मादी सूर्यमव थाय, मुज गुरु अवज्ञा करी क्यां जाय ॥ चेलाजी तुम्हे जा गुरु पास, सूर्यमन्बनो करुं हुं नाश ॥ १४॥ मंत्री मनमां चिंती एह, साधु संताप्या फल देखाडं तेह ॥ बीजो एम न करे वली कोय, दाहिण कर अणावं सोय॥१५॥ हवे मंत्री एक करे प्रपंच, सुजटने कहे करो ए संच ॥ सूर्यमल राय मामो जेह, दाहिण कर ले। आवो तेह ॥ १६ ॥ एम आदेश मंत्रीश्वर दीए, सुनट सहस्स वात धरता हिये ॥ सबल सजा करी चाल्या तदा, सूर्यमल मोहले पोहता मुदा ॥१७॥ हाकी बोल्या उठ पापिष्ठ, गुरु अवका करी तें रिष्ट ॥ जीमणो कर ताहरो तुंदे, नहीं तो मंत्री करशे तुज वे ॥१७॥ मामो चिंते मनमां इस्युं, ए\ जोर न चाले क\॥ लाल पाल ते सूर्यमद करे, जीमणो कर ते आगल धरे ॥ १५॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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