Book Title: Vastupal Tejpal no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 54
________________ ( ५३ ) ते जयजयकार ॥ ३ ॥ देश साधी घर आवीया, मंत्री ते वस्तपाल ॥ रायचरणे यावी नमे, जलुं माने भूपाल ॥४॥ बत्रीश युद्ध मंत्री इम कीयां, जीत्या त्रीशे राय ॥ राजरुद्धि बहुली लही, ते तो पुण्य पसाय ॥ ५ ॥ बांधव नवाजीया, कीधा कोमि पसाय ॥ मात तातने पाये नमे, हियडे हर्ष न माय ॥ ६ ॥ हरखे हिये हींसते, बंधव करे वे वात ॥ हवे धर्मकरणी बंधव करो, पढे पोखो पोतानी जात ॥ ७ ॥ तब सत्रकार मंगावी, त्रण खंडे विस्तरे नाम ॥ त्री जो खंग खांते कह्यो, कवि मेरु जणे अनिराम ॥ ८ ॥ परम जट्टारक श्री विजयदान सूरि, तप गछनो शणगार | पंकित गोषजी गणि रंगविजय शिष्य, मेरु विजय सुखकार ॥ ए ॥ संवत् बार ब्याशी कहुं, अरिमर्दन कीधां वस्तपाल ॥ सत्रकार तदा मांगी, करी मंत्री धर्म रसाल ॥ १० ॥ हवे चोथो खंग चतुरपणे, कहीशुं गुरुत्राधार ॥ सांजलतां सुख उपजे, जणतां हर्ष अपार ॥ ११ ॥ ॥ ढाल ॥ ॥ दान दीर्ज जग जीवमा, जिम पामो जवनो पारो जी ॥ वस्तग तेजपाल जग जयो, दान दीए ते उ For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainelibrary.org

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