Book Title: Vastupal Tejpal no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(४०) गु०॥ ७॥ बांहे सोहे बहेरखा ॥ सा ॥ सोवन चूडो सार॥ गु०॥माणक मोती हीरे जड्यो॥सा॥ कनकमय कंकण सार ॥ गु० ॥ ॥ चीर पीतांबर पहेरीयां ॥ सा ॥ कंचुक कसीमा उदार ॥ गु०॥ घाटमी घूघरी घमघमे ॥ सा ॥ रूपे अपलर नार॥ गु० ॥ ए ॥ गजगति चाले चालती ॥ सा ॥ पहेरे सोले शणगार ॥ गु०॥ चोसठ कला जाणे सुंदरी ॥ सा ॥ पाये जांऊरनो ऊमकार ॥ गुण ॥ १० ॥ बेहु बांधव नारी इसी ॥ सा ॥ सुख विलसे आवास ॥ गुण ॥ चित्रशालीए सोहे चंचुआ ॥ सा ॥ जाणे इंड किलास ॥ गु० ॥ ११॥ नवनव रंगे ते रमे ॥ सा ॥ वस्तुपाल अनोपम नार ॥ गुण ॥ ललितादे तेजपाल\ ॥ सा ॥ सुख विलसे संसार ॥ गुण ॥ १२ ॥ पूर्व पुण्य बहु आचस्यां ॥ सा० ॥ते कहेशं आगल विस्तार ॥ गु०॥ वीरधवल हवे एम कहे॥ सा ॥ मंत्री साधो देश अपार ॥ गुण ॥१३॥ त्रंबावतीनो राजी ॥ सा॥तेहने आण मनावो जाय॥ गुण ॥ विनय करी मंत्री विनवे ॥ सा॥ नीमकणने आणुं साय ॥ गु० ॥ १४ ॥
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