Book Title: Vastupal Tejpal no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(३४) ॥मे॥१॥वारुणा उत्रीश कारखानां तिहां अ, बावी करे तिहां पोकार॥मे॥अकरम कीधा एणे पापीए, हवे तुम्हे करो अम्ह सार ॥ मेरे ॥ १३ ॥ वारु०॥ नगरलोक तेमी करी, ते आपे निज निज वस्त॥मे॥ कुमी ने पोता तणी, दीए निज बंधव हस्त ॥ मेणार॥ वा॥ सोना रूपा घाट सामटुं, हस्ती तुरंगम सार ॥ मे ॥ राजाने जश् सुंपतो, नगरे हु जयकार ॥मे० ॥ १५ ॥ वा० ॥ राजलोक सुखी कस्या, सुखी कस्या नगरना लोक ॥ मेरे० ॥ वस्तु लीए व्यापारी, आपे
आपे नाणुं रोक ॥ मे॥१६॥ वा ॥ राज्य करे त्यां राजी, हवे वीरधवल उगह ॥मे०॥कर जोमी मंत्री विनवे, स्वामीआपो एक पसाय ॥ मे॥१७॥वा॥ उदयन बंधथी बोमीए, एतो दी मुजने मान॥मे॥ राजा कहे जूमो पापीठ, वली लागे मुजशें कान ॥ मे ॥ १७ ॥ वा ॥ जीवितदान दी, तेहने,कीधो परउपगार ॥मे॥ गुण केडे अवगुण करे, एहवा नर घणा संसार ॥ मे ॥ १५ ॥ वा ॥ अवगुण करे ते बापमो, तेहने गुण करी दीजे शीख ॥ मे॥ एहवा नर थोमा लहुँ, जे जाणे परनु कुःख ॥मेारावा॥ वे बांधव तेहवा लडं, जीवदया प्रतिपाल॥मे॥उद
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