Book Title: Vastupal Tejpal no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 16
________________ (१५) देवपुरी सार ॥ १२ ॥ एह० ॥ दवे आसराज श्राशा फली, केडे को नवि थाय ॥ मनमानी ते मानिनी, राखी मंदिर मांय ॥ १३ ॥ एह० ॥ बाली जोली शूरती, किहा जवनां लाग्यां पाप ॥ साधु संताच्या में सही, बोरु विडोयां माय ॥ १४ ॥ ० ॥ कूमां कलंक सखी में दीयां, थापणमोसा कीध ॥ शुद्ध शील नवि पालीयुं, कर्मे दूषण दीध ॥ १५ ॥ एह० ॥ जीन खंडं काया तनुं, ए वात मुजथी न होय ॥ प्राण प्रिया मुज वजा, गुरुवचन संजाली जोय ॥ १६ ॥ एह० ॥ तुज मुज सरज्यं ए सही, दीजे कर्मने दोष ॥ सरज्यं किमह न बूटीए, किसो करो हवे रोष ॥ १७ ॥ ० ॥ कहो कर्म उदय मुज आवीयां, न रही कुल तणी लाज ॥ कारज किम आदरुं, सांजल तुं आसराज ॥ १८ ॥ एह० ॥ प्राणी प्रीत ते शुं करे, परवश पमी ते बाल ॥ घरणी करी घरे राखतो, रूपा चूक पहिरी रसाल ॥ १५ ॥ एहु० ॥ घरनी मेले घरणी हुइ, हरख्यो ते आसराज ॥ सोपारापुर जायशुं, देश बांगी महाराज ॥ १० ॥ ए६० ॥ नारीवचने पीयु चालीयो, ज‍ यो सोपारे वास ॥ पंच विषय सुख विलसतो, सात पुत्री सुत नहीं आस ॥ २१ ॥ ए६० ॥ सालू मालू www.jainelibrary.org Jain Educationa International For Personal and Private Use Only

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