Book Title: Vastupal Tejpal no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
(ए)
॥चोपाई॥ ॥ कुमर शिर नार मूक्यो तात, सरखी जोम ते बे वली जात ॥ कुमली आणे घीए जरी, लाज आवते वेचे परी॥१॥ कुमर बे कुमली ते नरी, नगर पोल ते आव्या फिरी ॥ प्रथम हाट बोल्यो धनपाल, घृत आपो इहां नान्हा बाल ॥२॥आगल फांदे पमशो तमो, माही वात कहुं बुं अमो॥प्रधान राजा न मानी
आण, तुम्हे दीसो बो चतुर सुजाण ॥३॥ प्रधान विद्या केलवे बहु, घृत खांम गहुँ गोल लेवे सहु ॥ नाणुं मागे नापे तदा, नगरे वस्तु हवे नावे कदा ॥४॥ लघुवेश ते उधमल थया, धनपाल वारतां आघा गया। चहुटामध्यते आवे यदा, उदयन मंत्री देखे तदा ॥५॥ महेतो नगर जोवा संचरे, घृतकुमी ते निजरे पडे ॥ हुकम चलावे व्यावो अरी, वस्तुपाल बोले वचनज फरी॥६॥मस्तक उपर घत में ध, विण पैसे नवि आपुं परं ॥ महेतो आवी वलग्यो जाम, मोल सहित कुमी लीधी ताम ॥७॥ वस्तुपाल चिंते हवे करें उपाय, जिम महेताने दंडे राय ॥ कणो वींटी शिर पाडो वले, पहिले हाट जश शेठने मले॥७॥ शेठे मशकरी कीधी घणी, घृत
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110