Book Title: Vastupal Tejpal no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( ३० ) लीधुं तुम्हे थया रेवणी ॥ रायमोदीए एमज कह्युं, धनपाल एहवुं नामज लघुं ॥ ए॥ वस्तुपाल कहे सांजल धनपाल, हवणां अम्हे बुं नान्हा बाल ॥ एहने शीखज देश करी, मस्तक मोल बांधुं ते खरी ॥ १० ॥ ए अवसर रायदासी एक, घृत लेवा मोकली विवेक ॥ घृत आपो मोदी तुम्हे आज, मुंजाइए बेटा महाराज ॥ ११ ॥ मोदी बोल्यो मूकी लाज, प्रधानत्राज्ञा विण न करूं काज ॥ घृत याप्युं ते में नवि जाय, जइ विनवजे ताहरो राय ॥ १२ ॥ पाठी वली ते दासी गए, राजा आगल उनी रही ॥ घृत नापे स्वामी सुणो शेव, प्रधान थकां नवि जरीए पेट || १३ || पुनरपि राय कहे विनवे वयण, बशेर घृत तुम्हे आपो सयण ॥ रायवचने दासी गइ वली, मोदी नापे घृतनी पली ॥ १४ ॥ राजानुंजाइ ताढी थाय वस्तुपाल चिंते मन मांय ॥ घृत बशेर तुम्हे आपो शेठ, अम्द वींटी मूको तुम्ह चरणां देव || १५ || दासी घृत घर ले जाय, मोदी नापे वस्तुपाल गुण गाय ॥ स्वामी बे बंधव देवी जे का, मोदीहाटे ते पण रह्या ॥ १६ ॥ घृत गुंजा तेणे दीघ, ते पासे कां न दीसे रिद्ध ॥ तुम्ह
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