Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi

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Page 7
________________ भाषाटीकासमेत। (3) विश्वौषधान्वितः क्वाथः कफज्वरविनाशकृत्॥७॥ भाषाटीका // अडूभा, पीपलामूल, कुटकी, नागरमोथा, धमासो, धनियां ये सब बराबर ले काथकर सोंठके चर्णके संग पीवे सो कफज्वरको नाश होई // 7 // अथ वेलाज्वरे काथः॥ मुस्तामृतानागरधन्वधात्रीक्षुद्रायुगारिष्टजभंगराजैः / / समानभागैर्मधुनासमेतो वेलाज्वरं हन्ति कृतः कषायः८ भाषाटीका॥ नागरमोथा, गिलोय, सोंठ, धमासा, आंवला, कटेहरी, दोऊ नीमकी छाल, भांगरा ये बराबर भाग ले काथकर सहतकै संग पीवे सो वेलावर दूर होई // 8 // अथ वातपित्तज्वरे वाथः॥ मुस्तानागरभूनिंबरेणुच्छिन्नोद्भवैःसमः // काथोयंपंचभद्राख्योवातपित्तज्वरापहः // 9 // भाषाटीका // नागरमोथा साठे चिरायता रेणुका,याकी एवज पित्तपाड़ा लेनो, गिलोय ये बराबर भाग पंचभवनामको काथ,कर पीवे सो वातपित्त ज्यरको दूर करै // 9 // अथ कफपित्तज्वरे कषायः॥ धान्यकसलिलंमुस्तानिशापथ्याद्विजीरकौ // कफपित्तज्वरेकाथः प्रोक्तोयंकविहस्तिना॥१०॥ भाषाटीका॥ धनियां नेत्रवाला नागरमोथा हरदी हरट दोनों जीरा इनको बराबर भाग ले काढाकर पीने सों

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