Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi

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Page 33
________________ भाषाटीकासमेत। (29) कि ता औषधमें सो आधपल रात्रिको पुरुष खाय तौ ताके वीर्य बढे बलरूप विशेष करके बढे // 5 // पुनः॥ तिलगोक्षुरयोश्चूर्णमजादुग्धेन पाचितम् / / शीतलं मधुसंयुक्तं बलवीर्यस्य वृद्धिकृत् // 6 // भाषाटीका / तिल गोखरूको चूर्ण बकरीके दूध औटाय शीवलकर सहतके संग पीसों बलवीर्यकी वृद्धिकरे / / गोघृतशीतलंगारिसुभोज्यं च नवाङ्गना।। दुग्धपानंमदास्तानंपडेतेगात्रपुष्टिदाः // 7 // भापाटीका / / गायको घी, ठंडा पानी, मीठे भोजन, बाला स्त्री नई दुधको पीवो निरन्तर न्हायवौ / येछैहू शरीरको पुष्टाई देवेवारीहैं // 7 // कृष्णमुशलीकंदस्यचूर्णतुगोघृतेनच // नरोनित्यंप्रकुर्वाणोगतकामलभेत्पुनः // 8 // भापाटीका ।कारी मुशलीको कन्द चूर्ण कर गौके धीम खायो नित्यकरे पुरुष तौगयोभयो काम फिरमिलै॥ 8 // मुशलीकंदचूर्णतु पलार्द्धमुच्चटातथा॥ दुग्धेनसहपातव्यं गतधातुप्रमेहजित् // 9 // भाषाटीका // मूशलीके कंदको चूर्ण आधपल उटंगन आध पल दूध गरे पीवेसों गईभई धातुको बढावे और प्रमेहको जीवे // 9 //

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