Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi

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Page 39
________________ भाषाटीकासमेत / (35) कृद्विशेषात् शीर्षव्यथां हरति नेत्ररुजनराणाम्२९॥ इतिश्रीवैद्यवल्लभेहस्तिरुचिकविविरचितेपुरुषार्थगतकामगतधातुप्रमेहमूत्रकृच्छ्राश्मरीलिंगदिबहुमूत्रप्रतीकारोनाम चतुर्थो विलासः॥४॥ भापाटीका // पहलें सीसेको शोधकर खीपराम चढाय तीव्रभग्निदे आककी जडसों मर्दन करतोजाय तो चीन पहरमें भस्म होइ यार्को मिश्रीके संग देनी // 28 // नागेश्वर मारयोभयो पित्त वातविकार हरे वीर्यदोषको शमन करै गयेभये कामको बढावे और दाहालापको शमन कर विशेषकर रुचिकों करै शिररोगनको हरै मनुष्य के नेत्रके दर्दको हरै // 29 // इतिश्रीवैद्यवल्लभेमधुपुरीस्थदक्षगोत्रोद्भवचातुर्वेदिराधा चन्द्रर्मिकतव्रजभाषाटीकायांपुरुषार्थगवकामगवधातुप्रमेहमूत्रकृच्छ्राश्मरीलिंगवृद्धिबहुमूत्र : प्रतीकारोनामचतुर्थी विलासः // 4 // .. अथ गुदरोगप्रतीकारःप्रोच्यते // आम्रास्थिविश्वागोशृंगीकुटजाम्ररसेनतु / / मर्दथेत्रिदिनं सम्यक सितया सह यो भजेत्॥३॥ तस्यपित्तोद्भवां हन्ति अहणीं दुःखकारिणीम् / / ज्वरातिसारंतीवं च रक्तस्राव रुजहरेत् // 2 // भाषाटीका / केरीके भीतरकी गुठली सोंठ अवीस कुडेकी छाल ये समान भाग लै आनके रसमें वा आमके

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