Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi
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________________ (54) वैद्यवल्लभ। समान भागलै वालुवेपें लेप करवे। मुख सूख्यो भयो अच्छो होई // 21 // पुनर्मुखशोषे गुटिका // एलाधात्रीरसश्चैवगुटी कृत्वा मुखेस्थिता॥ प्रदत्ता हस्तिनासद्यो मुखशोषप्रशान्तये // 22 // भाषाटीका // इलायचीकी आवलेके रसमें गोलीकर मुखमें धरदेवेसो हस्विकवि कहै है कि जल्दी मुखशोष को नाश करै // 22 // अथ दन्तरोगे मंजनम् // दाडिमत्वम्भवं चूर्ण वर्षयेदरुणोदये // तस्माद्वजसमादन्ता भवन्ति चपला अपि // 23 / / भाषाटीका // अनारकी छाल के चूर्ण सो अरुणोदय अर्थात् प्रावसमें दाँतनको रगडे तौ वाके हलवे दाँत वजके समान होई // 23 // अथ स्नायुरोगे लेपादि // गुन्दीमूलन्तुसंघृष्य नरमूत्रेण लेपयेत्॥ स्नायुकोहि यथायाति निशालवणबन्धनात् 24 // भाषाटीका // गोंदीकी जडकों आदमीके मूत्रमें घिस लेप करवे सो नहरुवाको दूर करे ऐसेही रावकों सैंधौनोन बांधवेवे वालों दूर होई // 24 // पुनः॥ मधूकसारपत्राणि बध्यन्ते स्नायुकोपरि //
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