Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi

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Page 63
________________ भाषाटीकासमेत / (59) गुटीनिम्बूरसेनोक्ता चाचनं सर्वदोषजित् // 3 // भाषाटीका // पीपल सैंधौनोन लीलाथोथौ मिर्च नीमकी निवौरी इन सबको समान भागले नींबूके रसमें गोली कर आंजे तो सबरे दोषनको जीते // 3 // अथ सर्पविषे उपचारः॥ तुत्थं वचाकट्फलंच गोदुग्धेन प्रपाचयेत् // तस्मात्सर्पविषयाति तथोषणघृतेन // 4 // भाषाटीका // लीलाथोथौ वच कायफल इनको समान भागले चूर्ण कर गोके दूधमें पकाय पीवे तौ सर्पको विष दूर होई तथा पीपल धीमें देवे तौ सर्पविष दूर होई // 4 // ___ अथ सोमलविष उपचारः॥ सितयासह पानाच्च तंदुलीयरसस्यच // तस्मान्मल्लविषयाति निम्बूरसप्रसेवनात् // 5 // भाषाटीका // मिश्रीके संग चौलाईको रस पीवे सो सोमलको विष दूर होई तथा निम्बूके रस पीतें // 5 // ___ अथ नागफेनविषे उपचारः॥ बृहत्क्षुद्रारसं दुग्धं पलमानं निषेवणात् // नागफनविषं हन्ति यथा लवणभक्षणात् // 6 // भाषाटीका // दोनों कटेरीनको रस वामें दूध आधर पल ले पीवे तो अफीमको विष दूर होई ऐसेही सैंधोनीन खायवसो // 6 //

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