Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi
View full book text
________________ भाषाटीकासमेत। (57) 2 खांड ताके बीच मिलाय ताके कल्ककों लेकर पीछे लोग सोंठ मिर्च पीपल लोहभस्म अनक // 31 // तामेश्वर जायफल जावित्री तेलिया मीठौ शुद्ध कुठेर इन सबको एक एक पल मान भागले चूर्ण न्यारयौ न्यारयौ करै // 32 // सबेरेके समय एकपल याको मनुष्य सदा खाय वाकै सबरे मस्वकरोगनको नाश करै यामें संशय नहीं // 33 // और सबरे वावसमूहनकों और भौंर उल्टी कफकी व्यथाकों ये हस्विकविके मतको मागधीनामको पाक दर करै // 34 // अथ संधिग्रंथिवाते गुटिका // ग्रंथिकाकल्लकं मुस्ता चाश्वगंधा कणोषणः // तदौषधसमाविश्वा तत्समेन गुडेन च // 35 // यो भक्षयेत् पथ्ययुक्तो द्विवेलं मात्रयागुटी // संधिवातो ग्रंथियातस्तस्य नश्यति निश्चितम्॥३६॥ इति श्रीवैद्यवल्लभे हस्तिरुचिकविविरचिते शिरःकर्णाक्षिभ्रममूसिंधिवातग्रंथिवात रक्तपित्तस्नायुकादिप्रभृतिप्रतीकारो ...नाम सप्तमो विलासः // 7 // भाषाटीका // पीपलामूल अकलकला नागरमोथा असगंध पीपल मिर्च इन औषधनकी बराबर सोंठ इन सबनकी बराबर गुड लैकर मिलाय // 35 // याकों पथ्यसों खाय दोरत्तीके बराबर गोली वो जोडनकी वादी गाठनकी
Page Navigation
1 ... 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78