Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi
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________________ भाषाटीकासमेत। (55) तस्मात्स्नायुकजापीडा नृणां नश्यति तत्क्षणात् 25 // __भाषाटीका // मधूकसारके पत्ता नहरुआये बांधे वाकी चाले सो भई पीडाको तत्क्षण नाश करे // 25 // पुनः॥ यथार्कक्षीरलेपेन हरेत्स्नायुकजांव्यथाम् // तथा स्नुहीक्षीरलेपारेद्रुमहब्यथाम् // 26 // भाषाटीका // जैसे आकको दूध लेप करवे सो नहरुआकी व्याधिको हरे है तैसेही थूहरको दूध लेप करवे सो दादको महाव्याधीको हरै // 26 // पुनः॥ सगुडानकपोतस्य कुक्कुटस्य विटं तथा // सप्ताहं सेवयेत्पुंसां स्नायुको नश्यति ध्रुवम् // 27 // भाषाटीका // गुडमें कपोतकी विष्ठा मुरगाकी वीठ इनको समान भाग ले सात दिन सेवन करवेसों मनुष्यके नहरुआको निश्चै नाश करै // 27 // . अथ श्वानविषे उपचारः॥ - मुण्डीपञ्चांगचूर्ण तु गोमूत्रेण समंपिबेत् // तस्माच्छानविषं याति यथा पापं प्रभुःस्मृतः२८॥ भाषाटीका // गोरखमुंडीको पञ्चांग लै चूर्ण कर याके समान गोमूत्र ले पौवे ताकी श्वान विषकी व्याधि दूर होई जैसे श्रीजीके भजनों पाप मिटै // 28 //
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