Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi
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________________ भाषाटीकासमेत। (53) तिलतैलंसमुत्काल्यकर्णेक्षिप्तेरुजहरेत् // 18 // भाषाटीका // आकके पत्तानको रस सहेजनको रस धतूरेको रस इनकों विलके तेलमें औटाय कानमें गेरे तौ कानको दर्द दूर करै // 18 // अथ नासूररोगे उपचारः // / घृष्टं जलेन कम्पिल्लं तल्लेपाचहरेध्रुवम् // नासहियथा कृष्णातिलपिण्डनिबन्धानत // 19 // भाषाटीका // कबीलैकू जलमें पीस वाको लेप करवेसे निश्चै नासूरको दूर करै ऐसेही काले तिल पीस ताकी पिंडी बांधवेसों दूर होई नासूर // 19 // - 'अथ मुखपिडिकालेपः॥ घृष्टमाजूफलं व्रीहिवारिणा कृतलेपनात् // नृणां तारुण्यजांहति पिडिकां वदनोद्भवाम् 20 // भाषाटीका // माजूफल बीही चावलके पानीमें पीस लेप करे तो जवानीसो भयी फुन्सी मुखकी वा शरीरकी दूर होई // 20 // अथ मुखशोषे लेपः॥ सैन्धवं मरिचं क्षौद्रं मातुलुंगरसस्तथा // तालुस्थाने कृताल्लेपान्मुखशोषविनाशकृत् // 21 // भाषाटीका // सैंधौनोन मिर्च सहत बिजौरे को रस ये
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