Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi
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________________ (56) वैद्यवल्लभ / अथ रक्तपित्ते उपचारः॥ आम्रास्थिकूष्माण्डरसेन नस्यः पुनर्नवादुग्धसितान्वितेन // दूारसःस्त्रीपयसाचतद्वत् योगत्रयं रक्तपित्तं निहन्ति // 29 // भाषाटीका // आमकी गुठली पेठेको रस याकी नस्य वथा साँठकी जड गौकी घी मिश्रीके संग दुबको रस स्त्रीके दूधसो वाकी वरे ये तीनों योग रक्तपित्तको दूर करै॥ 29 // अथ मागधीपाकः॥ मेथीपलचतुष्कंचकणाद्विपलमानतः // - दुग्धेन मिश्रितं कृत्वा पाचयेद्वह्निना ततः॥३०॥ प्रस्थैकखण्डं तन्मध्ये शिवाकल्कमपिक्षिपेत् // लवंगत्रिकटुश्चैव लोहभस्म च साधकम् // 33 // शुल्वं जातीफलं जातीपत्रीविषकुठेरकैः // एतेषां पलमानेन भागान्कृत्वा पृथक् पृथक् // 32 // प्रभाते पलमानेन यो भुक्ते च नरःसदा // तस्य सर्वे शिरोरोगाः प्रणश्यन्ति न संशयः॥३३॥ सर्ववातसमूह:च भ्रमच्छकिफव्यथाम् // मागधीपाकनामायं सद्धस्तिकविना मतः॥३४॥ भाषाटीका // मेथी चार पल दोपल पीपल ये दोनोंनको दूध में मिलाय करके वाकों अमिसों पकावे // 30 // सेर
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