Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi
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________________ (64) वैद्यवल्लभ / अथ अपस्माररोगे नस्यम् // अरिष्टं नरमूत्रेण हयमूत्रेण टंकणम् // गजमूत्रेणकृतं नस्यं त्रिभियोगैमगी हरेत् // 23 // भाषाटीका // रीठा मनुष्यके मूतमें घिस नस्य दे तथा घोड़ाके मूतमें सुहागा विस नस्य दे तथा हाथीके मूतको सुंघावे तो ये वीन योग मृगीको हरे // 23 // अथ बधिरशूलरोगे उपचारः॥ कारेलीरससंयुक्त सैंधवं टंकणं क्षिपेत् // तस्मात्कर्णव्यथां हंति बधिरशूलदोषजाम् // 24 // भाषाटीका ॥करेलाके रसके संग संधौनोन सुहागो गेरनो वाकी कानकी व्यथा व बहरापन व दर्दके दोषको दूर करै२४ अथ वीर्यस्त्रावरोगे उपचारः॥ गुन्दीवृक्षस्य पत्राणि पक्वानि सितया सह // नृणां संसेव्यमानेन वीर्यस्त्राव सदा हरेत् // 25 // भाषाटीका // गोंदी वृक्षके पके पत्ते मिश्रीके संग मनुष्य सेवन करे तो वीर्यस्रावको सदा हरण करे // 25 // ____ अथ पादत्रणरोगे लेपः॥ मेणसर्जरसोसाबुन्नवनीतेन लेपनात् // तिलेन वटदुग्धेन हंति पावणानिच // 26 // भाषाटीका // मोम राल साबुन इनको समान भाग ले माखनमें मिलाय लेप करे तथा विल वडके दूधको पीस लेख करे वो पायके फोडानको दूर करे // 26 //
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