Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi
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________________ भाषाटीकासमेत। (33) भाषाटोका // बच,असगंध,गजपीपल,ये समान भाग ले चूर्ण भैसके माखनमें मिलाय लिंगपे लेपकरे तो पुरुषको लिंग लम्बो होई ये हस्विकविको मत है // 21 // वचाकुष्ठाश्वगन्धाच गजकृष्णासमानकैः // नवनीतयतो लेपो नरलिंगस्य वृद्धिकृद // 22 // भाषाटीका॥ बच, कूठ, असगंध, गजपीपल ये समान भाग ले चूर्णकर गऊके माखनमें लेप करवे सो मनुष्यके लिंगकी वृद्धिकरे // 22 // पुनः॥ सश्वेतरक्तकरवीरजटो गृहीत्वा दारूनिशागजकणानवसागरेण // आकल्लकार्कसहित हि जलेन पिष्टवा संलेपितं प्रकुरुते खलु लिंगवृद्धिम् // 23 // भाषाटीका // सुपेद तथा लाल कनेरकी जड लेनीऔर देवदारु हरदी गजपीपल नौसादर अकलकर आककी जड जलके संग पीस याको लेप करे तो आनन्द सो लिंगकी वृद्धि होई / / 23 // अथ कामेश्वरगुटिका // नागफेनफलाजातीपत्रीनागलतारसैः // मर्दयद्यामयुग्मं तु कारयेद्गुटिकोत्तमा // 24 // सुगन्धैमिश्रितादेया दुग्धपानं तदोपरि // सुरते दशनारीणां मानमुच्छेदयेद् ध्रुवम् // 25 / /
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