Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi
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________________ (42) वैद्यवल्लभ। .. दले सोंठ मिर्च पीपल ये सर्व समान भाग लै महीन चूर्गकर वासों दूनो थूहरको दूध मिलाय // 1 // मन्दअग्निसो पकायके पांच रत्ती दे तो दस्त कर और सबेरे उदररोगनको दूर करें ये वजभेदी रस है // 2 // अथ सर्वकुष्टारिरसः // जैपालबीजचूर्णं तु स्नुहीक्षीरं घृतं समम् // मंदाग्निना पचेत पिण्ड पंचगुंजाविरेचकृत् // 3 // सर्वकुष्ठारिर्विख्यातो देयमुष्णजलेन च // गुल्मज्वरविनाशार्थ सद्धस्तिकविना मतम् // 4 // भाषाटीका // शुद्ध जमालगोटाको चूर्ण थूहरको दूध गौको घी इनको समान भाग लै मन्दअनिसों पकावे याके गोलाको वापीछे तामेते पांचरत्ती देवो दस्त होय॥३॥ ये सर्व कुष्ठारि रस विख्यातहैं याको गरम जलसों दे वो सबरे कोढनको वथा गोला ज्वरको नाश होइ ये सद्योग हस्तिकविके मतकोहै // 4 // अथ इच्छाभेदीरसः // पारदं गन्धकं व्योषं निशा पथ्या तुटंकणम् // तत्समंजयपालंच तत्समेन गुडेनच // 6 // शीवोदकेन दातव्यश्चतूरक्तिप्रमाणकः // विरेची ज्वरहन्ताच गुल्मशोफोदरापहः // 6 // मन्दानिशूलदोषेषु कफरोगे विशेषतः // प्रोक्तोऽसौ हस्तिकविना इच्छाभेदीयं रसः॥७॥
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