Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi
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________________ (50) वैद्यवल्लभ। महा शिरकी व्याधिको हरै // ऐसेही नीमकी छाल तथा रीठाशीवल जलमें पीस नस्य दे तो महा शिरके रोग को दूर करे // 7 // पुनः॥ भुंगराजरसं कुष्ठं नवनीतेन पाचयेत् // पश्चात्तल्लेपतः सद्योमहच्छीर्षव्यथाहरेत् // 8 // भाषाटीका // भांगरेको रस कूठ माखनमें मिलाय मन्द अग्निसो पचायके पीछे ताको लेप करवेसो जल्दी शिरकी व्यथाको हरै // 8 // अथ अर्धशीर्षरोगे नस्यम् // मागधीमरिच तुल्यौ लोभ्रेण सह मर्दयेत् // त्रिदिन दीयते नस्य सूर्यावर्त विनाशयेत् // 9 // भाषाटीका // पीपल मिर्च और लोध इनको समान भागलै पीसकर वीनदिन नस्य देवे तो सूर्यावर्तनाम शिररोगको नाशकरै // 9 // पुनमस्तकरोगे लेपः॥ आम्रास्थिधात्रीलेपोऽथकणोषणसिताजलैः / / रसोनकार्कपत्रस्य नस्यो मस्करोगनुत् // 10 // भाषाटीका // आमकी गुठली आंवले इनको लेप वथा पीपल मिर्च मिश्री जलसों तथा लस्सन आकके पत्ता इनकी नस्य लेवेसों मस्तकरोग मिटै // 10 //
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