Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi

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Page 48
________________ (44) वैद्यवल्लभ। वमनं श्लोपदग्रंथिकुष्ठगुल्मोदरं हरेत्।। 10 / / भाषाटीका // कडुईतूंबीके बीज बकरीको दूध इनकों अग्निसों पकायके दे वो उल्टी श्लीपद गांठ कोढ गोला पेटके रोगोंको हरे // 10 // .. अथ अहिफेनविष उपचारः // साक्षीमूलतोयेन घृतेन विश्वभृङ्गराः // वचारामठतऋण नागफेनविषं हरेत् // 11 // भाषाटीका // सितारकी जढ जलसों पीवे तथा घी सोंठ भांगरो वथा वच हींग मठाके संग पीवे सो अफीमके विषको हरे // 11 // __अथ वृश्चिकविष उपचारः॥ कोंटिकार्कयोश्चूर्ण नागफेनं सनागरम् // सूर्यदुग्धेन गुटिका वृश्चिकादिविष हरेत् // 12 // भाषाटीका // ककोडा आक अफीम सोंठ इनको समान भाग ले आकके दूध में गोली कर देवसो वथा लेप सों बीछूको विष मिटै // 12 // अथ रक्तिकाविष उपचारः // क्षारद्वयसमायुक्तंचूर्णसौवर्चलोद्भवम् // सजलेनकृतंहतिवरवल्लभवारुजम् // 13 // भाषाटीका // जौखार सज्जीखार कारौ नॉन इनकी समान भाग ले चूर्ण कर जलसहित करदेवेसों महारत्तीको भये दर्दको हरे // 13 //


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