Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi

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Page 47
________________ भाषाटीकासमेत। (43) भाषाटीका // पारो शुद्ध गन्धक सोंठ मिर्च पीपल हरदी हरड़ सुहागो ये समान भाग लै वाकी बराबर जमाल गोटा और सबकी बराबर गुड़ ले मिलाय // 5 // ठंडे जल सों चार रत्ती देवे सों दस्व होई ज्वर गोला सूजन पेटकी इनको दूर करे / / 6 / / मन्दाग्नि दर्दके दोषको विशेषकर कफके रोगको दूर करे ये हस्विकविको कह्यो इच्छाभेदी रसहै // 7 // . अथ कुष्टरोगे लेपः॥ गुंजाभल्लातकं नागो निम्बस्य फलमजकैः॥ तक्रेण विहितो लेपः कुष्टाष्टादशनाशकृत् // 8 // भाषाटीका // रत्ती मिलाये तेलिया मीठो नीमकी निबोरीकी मींगी इनको समान भाग ले छाछमें पीस लेप करें वो अठारे प्रकारके कोढनको नाश करे है // 8 // अथ विषभक्षणे उपचारः // लवणं भानुदुग्धेन सकृद्भावितकर्षकम् // गव्येन पयसा पीतं वमिद्विषनाशनम् // 9 // . भाषाटीका // एक कर्ष संधीनीन आकके दूध भावना देकर गौके दूधसों पीवे वो उल्टी करे वासों विषनाश होई // 9 // अथ वमनायुपचारः॥ तुम्बीबीजमजाक्षीरैर्वह्निना च प्रपाचयेत् //

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