Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi

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Page 44
________________ (40) वैद्यवल्लभ / लवंगाकल्लकं कृष्णा दारु भीरु पुनर्नवा // शतपुष्पा वृद्धदारु पुष्करं विजयौषधैः // 18 // अश्वगंधा समानेन सर्व संचूर्ण्य मेलयेत् // यो भजेत् पलमानेन हन्ति तस्य मरुद्व्यथाम् 19 // नलवृद्धि स्रोतोवृद्धि गुल्मोदरगुदव्यथाम् // अर्शश्च कृमिजाः सर्वरोगानश्यंति निश्चितम् 20 // भाषाटीका // अंडके बीज शेर 2 लेकर वाके छीलका दूर कर ताके मीगी लेनी वाको दूध सेर सोलहमें गेर पकानी पीछे वामें घी आधशेर गेर खोहा करनो वा पोछे तामें मिश्री सेर 2 गेरनी // 16 // ताके कल्कमें और हरदी गिलोय वामेश्वर काली मिर्च हरड बहेडे आवरे वसलोचन वंगेश्वर दालचीनी बडी इलायची वेजपाव नागकेशर मन्योभयो भोडल // 17 // लोग अकलकरा पीपल दारुहरदी सांठीको जड सौंफ विधायरी पौकरमूल भांग सोंठ // 18 // असंगध ये समान भागलै ताको चूर्णकर उपर कहेभये अवलेहमें गेरनी वामेते एक पलभर ले प्राव समे खायवेसों वाकी वादीकी व्यथाकों हरे // 19 // वथा नलवृद्धि स्रोतवृद्धि पेटको गोला गुदाको रोग बवासीर सबरे कमिरोगनको निश्च नाशकरे // 20 // अथ स्रोतवृद्धिरोगे लेपः॥ सैन्धवं जीरकं युग्मं रामठंद्विगुणं जलम् / / तेलेनोत्काल्य तल्लेपात्स्रोतवृद्धि हरेढुवम् // 21 //

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