Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi
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________________ (11) वैद्यल्लभ। त्रिदिनंक्रियतेनार्यागर्भपातोभवेद्धवम् // 20 // भाषाटीका // रतीको चूर्णलेकर एक पल जलके संग तीन दिन करे वो नारीको गर्भ अवश्य गिरपडे // 20 // पुनः॥ अतसीतैलमुत्काल्यगुडयुक्तंप्रदापयेत् // गर्भपातोहिनारीणांसद्योभवतिनिश्चितम् // 21 // भाषाटीका॥ अलसीको तेल गरमकर गुड मिलायके देय तौ गर्भ गिर पडे स्त्रीको जल्दी अवश्य // 21 // पुनः॥ गुग्गुलंपलमानतु तैलेनोकाल्ययापिबेत् // सानारी निजगर्भस्य सुखेन पतनं चरेत् // 22 // भाषाटीका // गूगल एकपलमान अलसीके तैलमें गरमकर याकों पीवे सो नारी अपने गर्भको सुखसो गरे // 22 // पुनः॥ गवाक्षीमूलमादाय धारयेत्स्मरमन्दिरे // भ्रूणपातो भवेत्स्त्रीणां योगोयं कविहस्तिना // 23 // भाषाटीका // फरफंदूकी जड लायके योनिमें धरै तौ गर्भ गिरे लुगाईको ये योग हस्तिकविको है // 23 // पुनः // शिवाफलस्य बीजं तु पलमात्रं दिनत्रयम् // सितया समदानाच्च स्त्रीणां पुष्पं च गच्छति // 2 //

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