Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi

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Page 5
________________ श्रीः। अथ वैद्यवल्लभः। भाषाटीकासमेतः। सरस्वतीं हृदि ध्यात्वा नत्वा श्रीगुरुपत्कजम् // सहस्तिरुचिना वैद्यवल्लभोयं विधीयते // 3 // वैद्यवल्लभग्रन्थस्य राधाचन्द्रेण कल्पिवा / ब्रजभाषाचाप्यटीका खेमराजस्य प्रार्थनात् // भाषाटीका // सरस्वतीको हृदयमें धारण कर श्रीगुरुके चरणकमलको नमस्कार कर हस्तिरुचि कवि वैद्यवल्लभ नामके ग्रंथको कहैहै // 1 // पूर्व वैद्यवरो बुद्धया विधाय रोगनिर्णयम् // पश्चात्साध्यगदं मत्वा ततो भैषज्यमारभेत् // 2 // भाषाटीका // पहले वैद्य अपनी श्रेष्ठ बुद्धिसों शास्त्रके अनसार रोगके अभिप्रायको समझ देहके रोगको निश्चय करें वापीछे रोगी साध्य होइतौ औषध देनी और असाध्य हो। लौ चिकित्सा न करनी // 2 // यतः सकलरोगेषु प्रायशो बलवाज्वरः॥ / तस्मात्तद्रोगनाशार्थ प्रोच्यते हितमौषधम् // 3 // भाषाटीका // सबरे रोगनमें बहुत भांति करके ज्वर

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