Book Title: Vaidyavallabh
Author(s): Hastikruchi Kavi
Publisher: Hastikruchi Kavi

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Page 10
________________ (6) वैद्यवल्लभ / अथ कासश्वासकाथः॥ कृष्णामृतानागरदारसिंहीभांर्गीधनाग्रंथिकपुष्कराद्वैः॥ सश्वासकासेन युते ज्वरेपि कृतः कषायः पवनापहारी // 18 // भाषाटीका // पीपल गिलोय सोंठ देवदारु कटेरी भारंगी धनियां पीपलामूल पोहकरमूल ये सब बराबर भागले काढाकर पावे सो श्वाप्तकासज्वरसहिव वादीको दूर करै 18 // अथ अतीसारज्वरे // विश्वास रसोपेता धातकी श्रीसमानकैः॥ चूर्ण शीतोदके पानादतीसारज्वरं हरेत् // 19 // भाषाटीका // सोंठ राह और धाईके फूल ये बराबर ले ठंडे पानीके संग फाकवे सो अतीसारज्वर दूर होई // 19 // अथ सर्वज्वरे अंजनम् // हिंगुनिम्बस्य बीजंतु कृष्णसर्पस्य कंचुकी // संघृष्टं खरमूत्रेण चाअनं सर्वतापजित् // 20 // भाषाटीका // हींग नीमकी मींगीकी मांगी कारे सर्पकी काचुली इनको गधाके मूत्रमें घिस नेत्रमें अंजनकरे सो सबतरहके ज्वर दूर होई // 20 // सर्वज्वरे लेपः // किरात लवणं शुंठी कुष्ठचंदनवालकैः॥ वस्त्रण गालितो लेपः सर्वज्वरविनाशकृत् // 21 //

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