Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): Hiralal Hansraj
Publisher: Hiralal Hansraj
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श्रीजैनसिद्धान्त-स्वाध्यायमाला.
एयमद्वं निसामित्ता, हेऊकारणचोइओ। तओ नमी रायरिसी, देविन्दो इणमब्बवी ॥ ३९ ॥ जो सहस्सं सहस्साणं, मासे मासे गवं दए । तस्स वि संजमो सेओ, अदिन्तस्स वि किंचण ॥ ४० ॥ एयमढे निसामित्ता, हेऊकारणचोइओ । तओ नमि रायरिसिं, देविन्दो इणमब्बवी ॥४१॥ घोरासमं चइत्ताणं, अन्नं पत्थेसि आसमं । इहेव पोसहरओ, भवाहिवा मणुयाहिवा ॥ ४२ ।। एयमद्वं निसामित्ता, हेऊकारणचोइओ। तओ नमी रायरिसिं, देविन्दो इणमब्बवी ॥ ४३ ॥ मासे मासे तु जो बालो, कुसग्गेण तु भुंजए।न सो सक्खायधम्मस्त, कलं अग्घइ सोलसिं ॥ ४४ ॥ एयमढे निसामित्ता, हेऊकारणचोइओ, तओ नमि रायरिसिं, देविन्दो इणमब्बवी ॥ ४५ ॥ हिरणं सुवणं मणिमुत्तं, कंसं दूसं च वाहणं। कोसं वड्डावइत्ताणं, तओ गच्छसि खत्तिया ॥ ४६ ॥ एयमदं निसामित्ता, हेऊकारणचोइओ । तओ नमी रायरिसिं, देविंदो इणमब्बवी ॥ ४७ ॥
सुवण्णरुपस्स उ पव्वया भवे, सिया हु केलाससमा असंखया।
नरस्स लुद्धस्स न तेहिं किंचि, इच्छा उ आगाससमा अणन्तिया ॥ ॥४८॥ पुढवी साली जवा चेव, हिरणं पसुभिस्सह । पडिपुण्णं नालमेगस्स, इइ विज्जा तवं चरे ।। ४९॥ एयमदं निसामित्ता, हेऊकारणचोइओ। तओ नमि रायरिसिं, देविन्दो इणमब्बवी ॥ ५० ॥ अच्छेरयमन्भुए, भोए चयसि पत्थिवा । असन्ते कामे पत्थेसि, सकप्पेण विहम्मसि ॥५१॥ एयमढे निसामित्ता, हेऊकारणचोइओ। तओ नमी रायरिसी, देविन्दो इणमब्बवी ॥ ५२ ।। सल्लं कामा विसं कामा, कामा आसोविसोवमा । कामे पत्थेमाणा, अकामा जन्ति दोग्गइं ॥ ५३ ॥ अहे वयन्ति कोहेणं, माणेणं अहमा गई । माया गई पडिग्घाओ, लोभाओ दुहओ भयं ॥ ५४॥ अवज्झिऊण माहणरूवं, विउव्विऊण इन्दत्तं। बन्दइ अभित्थुणन्तो, इमाहि महुराहिं वग्गूहि ॥ ५५॥ अहो ते निजिओकोहो, अहो माणो पराजिओ। अहो निरकिया माया, अहो लोभो वसीकओ॥५६॥ अहो ते अन्जवं साहु, अहो ते साहु मद्दवं । अहो ते उत्तमा खन्ती, अहो ते मुत्ति उत्तमा ॥ ५७ ॥ इहं सि उत्तमो भन्ते, पच्छा होहिसि उत्तमो । लोगुत्तमुत्तमं ठाणं, सिद्धिं गच्छसि नीरओ ॥ ५८ ॥ एवं अभित्थुणन्तो, रायरिसिं उत्तमाए सद्धाए। पयाहिणं करेन्तो, पुणो पुणो बन्दई सक्को ॥५९ ॥ तो वन्दिऊण पाए, चकंकुसलक्खणे मुणिवरस्स। आगासेणुप्पइओ, ललियचलकुंडलतिरीडी ॥ ६ ॥ नमी नमेइ अप्पाणं, सक्खं सक्केण चोइओ। चइऊण गेहं च वेदेही, सामण्णे पज्जुवडिओ ॥ ६१ ॥ एवं करेन्ति संबुद्धा, पंडिया पवियक्खणा । विणियट्टन्ति भोगेसु, जहा से नमी रायरिसि ॥ २॥
त्ति बेमि ॥ इअ नमिपव्वजा ममत्ता ॥

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