Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): Hiralal Hansraj
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 20
________________ श्रीउत्तराध्ययनसूत्र - द्वादशमाध्ययनम् . जाणेह मे जायणजीविणु नि, सेसावसेसं लभऊ एवस्सी ॥ १० ॥ उक्खड भोयण माहणाणं, अत्तट्ठियं सिद्धमिहेगपक्खं । नऊ वयं एरिसमन्नपाणं, दाहामु तुज्झ किमिहं ठिओ सि ॥ ११ ॥ थले वीयाइ ववन्ति कासगा, तदेव निन्ने सु य आससाए । एयाए सद्धाए दलाह मज्झं, आराहए पुण्णमिणं खु खित्तं ।। १२ ।। णि अहं वियाणि लोए, जहिं पकिण्णा विरुद्दन्ति पुण्णा । जे माहणा जाइ विज्जोववेया, ताई तु खेत्ताइ सुपेसलाई ॥ १३ ॥ कोहो य माणो य वहोय जेसिं, मोसं अदत्तं च परिग्गहं च । . ते माहणा जाइविज्जा बिहूणा, ताई तु खेताड़ सुपावयाई ॥ १४ ॥ तुमेत्थ भो मारधरा गिराणं, अटुं न जाणेह अहिज्ज वेए । Farari मुणिणो चरन्ति, साइं तु खेत्ताइ सुपेसलाई ॥ १५ ॥ अझायाणं पडिकूलमासी, पभाससे किं तु सगासि अम्हं । अवि एवं विणस्स अन्नपाणं, न य णं दाहामु तुमं नियण्ठा ॥ १६ ॥ समिईहि मज्झ, सुसमाहियस्स, गुत्तीहि गुत्तम्स जिइन्दियस्स । ज मे न दाहित्थ अस णिज्जं, किमज्ज जन्नाण लहित्थ लाहं ॥ १७ ॥ के एत्थ खत्ता उवजोइया वा, अज्झावया वां सह खण्डिएहिं । एयं दण्डेण फलपण हन्ता, कण्ठम्मि घेत्तूण खलेज्ज जो गं ॥ १८ ॥ अज्झायाणं वयणं सुणेत्ता, उद्धाइया तत्थ बहूकुमारा । दण्डेहि वित्नेहि कसेहि चेत्र, समागया तं इसि तालयन्ति ।। १९ ।। रनो तहिं कोसलियम्स धूया, भद्द त्ति नामेण अणिन्दियंगी । तं पासिया संजय हम्ममाणं, कुद्धे कुमारे परिनिव्वे ॥ २० ॥ देवाभिओगेण निओइएणं, दिन्ना मु रन्ना मणसा न भाया । नरिन्ददेविन्दभिवन्दिएणं, जेणम्हि वंता इसिणा स एसो ॥ २१ ॥ सो सो उम्मतवो महप्पा, जितिन्दिओ संजओ बम्भयारी । जो मे तथा नेच्छ दिज्जमाणिं, पिउणा सर्य कोस लिएण रन्ना ॥ २२ ॥ महाजसो एम महाणुभागो, घोरव्वओ घोरपर. मो य । मा एयं ही लेह अहील णिज्जं, मा सच्चे तेएण भे निद्दहेज्जा ॥ २३ ॥ एयाई तीसे वयणाइ सोच्चा, पत्तीइ भद्दाइ सुहासियाई । इसिस वेयावडिया, जक्खा कुमारे विणिवारयन्ति ॥ २४ ॥ ते घोररूवा ठिय अन्तलिक्खेऽसुरा तर्हि तं जण तालयन्ति । ते भिन्नदेहे रुहिरं वमन्ते, पासितु भद्दा इणमाहु भुज्जो ॥ २५ ॥ गिरिं नहिं खणह, अयं मन्तेहिं खायह । जायतेय पाएहि हणह, जे भिक्खु अवमन्नह ॥ २६ ॥

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