Book Title: Tulsi Prajna 2004 04
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 21
________________ यद्यपि मात्र एक ही ऐसा लक्षण नहीं है जिसके प्रगट होने पर बुढ़ापा आना मान लिया जाए। बुढ़ापा प्रारम्भ होने के साथ ही अनेक लक्षण दिखने लगते हैं। मसलन् शरीर में वसा कम हो जाती है जिसके कारण शरीर की त्वचा पर झुर्रियाँ पड़ जाती हैं, पिगमेंट मेलानिन की कमी होने के कारण बाल सफेद हो जाते हैं, रक्त में कैलोस्ट्रोल की मात्रा तथा रक्तचाप बढ़ जाता है जिसके कारण हार्ट-अटैक आ जाता है, ग्लूकोस की सहन-क्षमता कम हो जाती है और इन्सुलिन-प्रतिरोध बढ़ जाता है जिसके कारण डायबिटीज जो जाती है। आँख के अन्दर उपस्थित द्रव का दबाव बढ़ जाता है जिसके कारण मोतिया-बिन्द एवं ग्लूकोमा हो जाता है तथा नजर कमजोर पड़ जाती है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिसके कारण इन्फैक्शन होने का डर बना रहता है। कैल्शियम की कमी हो जाती है जिसके कारण हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं। मांस-पेशियाँ शिथिल हो जाती हैं जिसके कारण कमजोरी आ जाती है। स्मरण-शक्ति, सुनने, सोचने तथा सीखने की क्षमता भी क्रमशः घटती चली जाती है। पाचनशक्ति कमजोर पड़ जाती है। नींद आना कम हो जाता है। यह जानकर शायद आश्चर्य होगा कि वृद्धावस्था में मनुष्य की लम्बाई पौन इञ्च तक कम हो जाती है तथा मनुष्य के मस्तिष्क का वजन बीस प्रतिशत तक कम हो जाता है। युवा मनुष्य के मस्तिष्क में लगभग एक खरब कोशिकायें होती हैं। इनमें से प्रतिदिन लगभग एक लाख कोशिकायें नष्ट होती रहती हैं और हमें इसका आभास तक नहीं हो पाता है। डॉ. मैक्से के प्रयोग जितना कुछ ऊपर कहा गया। यह सब वृद्धावस्था के होने पर क्या होता है, इसकी जानकारी तो देते हैं लेकिन यह सब क्यों होता है, इसकी जानकारी नहीं मिल पाती है। कुछ वैज्ञानिक खान-पान को भी वृद्धावस्था का एक कारण मानते हैं। कॉरनेल युनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डॉ. सी.एम. मैक्से के प्रसिद्ध प्रयोग ने यह सिद्ध कर दिया कि दुबला-पतला चूहा मोटे चूहे को दफन करता है। सामान्यतः एक चूहा चार माह में पूर्ण विकसित हो जाता है, दो साल तक वयस्क रहता है तथा तीन साल में मर जाता है। डॉ. मैक्से ने चूहों के दो वर्ग बनाये। एक वर्ग को खूब अच्छा-अधिक कैलोरी एवं प्रोटीन युक्त भोजन खिलाया तथा दूसरे वर्ग को कम कैलोरी युक्त भोजन, विटामिन तथा मिनरल पर ही रखा। उसने अपने प्रयोग में पाया कि पहले वर्ग के चूहे चार माह से पूर्व ही पूर्ण विकसित हो गये तथा अपनी औसत आयु में ही मर गये जबकि दूसरे वर्ग के चूहों को पूर्ण विकसित होने में तीन वर्ष तक का समय लग गया तथा वे काफी जीवित भी रहे। अपने प्रयोगों में डॉ. मैक्से यह सिद्ध कर पाये कि यदि मनुष्य मिनरल और विटामिन को ही अपनी खुराक बना ले तो वह 100 से 150 वर्ष तक जीवित रह सकता है। इन प्रयोगों से इतना तो सिद्ध हुआ कि मनुष्य अपना आयुष्य थोड़ा बढ़ा सकता है, लेकिन मृत्यु को फिर भी नहीं टाला जा सकता है। 16 - - तुलसी प्रज्ञा अंक 124 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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