Book Title: Tulsi Prajna 2004 04
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 77
________________ 9. A photo cell is also used in industries to locate flaws in metal _sheets. 10. It is also used to control the temperature during a chemical reaction and that of a furnace. 11. A photocell can be used in determining the opacity of solids and liquids." 27. (a) डॉ. जे. जैन, पूर्व उद्धृत लेख, पृष्ठ 13 "प्रकाशीय विद्युत् :( सौर-बेटरी): फोटो वोल्टिक सेल में विद्युत्- e.m.f. केवल दृश्य प्रकाश की किरणों से पैदा हो सकता है। ये बिना दूसरी बेटरी के ही विद्युत् धारा पैदा कर सकते हैं।" (b) वही, पृष्ठ 28, 29"अग्नि से जो ताप-ऊर्जा या प्रकाश-ऊर्जा पैदा होती है, वो बिजली-ऊर्जा से पैदा होने वाली ताप व प्रकाश ऊर्जा के समान तो जरूर है, लेकिन दोनों के उद्गम अलग-अलग हैं। "पहले में यानि 'अग्नि' में रासायनिक प्रक्रिया (ऑक्सीकरण या जलना) होना जरूरी है। उसी जलने की प्रक्रिया से ताप व प्रकाश की ऊर्जा पैदा होती है। "लेकिन विद्युत्-ऊर्जा किसी चुम्बकीय क्षेत्र में सुचालक के घूमने से पैदा होती है (जेनेरेटर), या किसी अन्य तरीकों से 'दबाव-अंतर' पैदा किया जाता है, जैसे घर्षण से (एम्बर या एबोनाइट) या दो पदार्थों के बीच तापक्रम के अंतर से (थर्मोकपल) आदि। "यहां यह भी विचार करना उचित होगा कि 'सचित्त अग्नि' के ताप की भांति ही प्रकाश-ऊर्जा' या अन्य ऊर्जा-स्त्रोतों से भी उपरोक्त काम हो सकते हैं क्या? जैसे सूर्य के प्रकाश से ताप पैदा होता है, उससे खाना सेका व बनाया जाता है (सौर्य उष्मक), मशीनें चलती हैं, आदि। सूर्य की रोशनी से सीधे विद्युत्-ऊर्जा बनाई जा सकती है-(सौर सेल) जिससे इलेक्ट्रोनिक सेल घड़ी या केलकुलेटर चलते हैं । तो क्या यह सूर्य का प्रकाश' सचित्त है ? उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर तो इसका उत्तर होगा 'नहीं'। उसी प्रकार बिजली के प्रवाह से ताप पैदा हो सकता है यानि पदार्थ का तापक्रम बढ़ सकता है, तो भी सूर्य की प्रकाश-ऊर्जा के माफिक यह भी अचित्त ऊर्जा हो सकती है। केवल इस कारण से कि 'सचित्त अग्नि' में 'गरम' करने की क्षमता है या प्रकाश पैदा करने की क्षमता है, दूसरे प्रकार की ऊर्जा, जो दूसरों को गरम कर सकती है, 'सचित्त अग्नि' की श्रेणी में होना जरूरी है, वर्षा हो सकती है, बिजली पैदा हो सकती है। "उसी (सूर्य) विकिरण में जो अवरक्त किरणे यहां पहुंचती हैं, वे पृथ्वी, वायु और जल को गरम करती हैं। लेकिन यह विकिरण यानि सूर्य का प्रकाश व अवरक्त किरणें स्वयं सचित्त अग्निकाय नहीं हैं।" "इस तरह बिजली अग्नि का 'महापुंज' है और साधारण अग्नि से भी महान् कार्य करने वाली ऊर्जा होते हुए भी (हालांकि ताप-बिजली घरों में ताप-ऊर्जा का 60-70 प्रतिशत ही बिजली की ऊर्जा 72 - - तुलसी प्रज्ञा अंक 124 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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