Book Title: Tulsi Prajna 2004 04
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 42
________________ तुलसी प्रज्ञा अंक 123 के बाद .... क्रमशः प्रश्न-12 - महानदी पर डेम बाँध कर टरबाइन की सहायता से जो इलेक्ट्रीसीटी उत्पन्न की जाती है वहाँ प्रक्रिया ऐसी होती है कि वेग से पानी के प्रवाह को टरबाइन के ऊपर डाला जाता है जिससे टरबाइन पूरे वेग से घूमता है। उस समय टरबाइन से जुड़े हुए डायनमो (Dyanamo) में रखे हुए मेग्नेटवाले चन्द्रकों के बीच Coil भी वेग से गोलगोल फिरती है। इस प्रकार कन्डक्टींग रॉड (Coil) और मेग्नेटीक लाईन्स के बीच एक प्रकार का प्रबल घर्षण उत्पन्न होने से वहाँ इलेक्ट्रीसीटी पैदा होती है। पानी का वेग बढ़ने से टरबाइन ज्यादा तेजी से घूमता है। जैसे-जैसे टरबाइन ज्यादा वेग से घूमता है वैसे-वैसे मेग्नेटिक फिल्ड में रखी हुई कन्डक्टींग रॉड ज्यादा तेज़ी से फिरती है। जैसे-जैसे कन्डक्टींग रॉड ज्यादा वेग से घूमती है वैसे-वैसे मेग्नेटींग लाइन्स ओफ फोर्स में प्रबल घर्षण होने के द्वारा चुंबकीय प्रेरण रेखाएँ (मेग्नेटीक लाइन्स) वेग से कटती हैं। जैसे-जैसे मेग्नेटीक फिल्ड में व्यवस्थित मेग्नेटीक लाइन्स ओफ फोर्स में वेग से प्रबल घर्षण पैदा होने से चुंबकीय रेखाएँ तेजी से कटती हैं वैसे-वैसे ज्यादा प्रमाण में इलेक्ट्रीसीटी उत्पन्न होती है। यहां एक और बात ध्यान में रखनी है कि चुंबकीय रेखाएँ (Magnetic Lines) भी प्रभा, छाया, आतप, उद्योत, प्रकाश, तरंग, शब्द इत्यादि की तरह जैन मतानुसार द्रव्य स्वरूप ही हैं। चुंबकीय रेखाएँ भावस्वरूप-पर्यायस्वरूप नहीं है, क्योंकि भाव किसी द्रव्य में से अलग होकर बाहर नहीं निकल सकता। कपड़े का सफेद वर्ण (=पर्याय) कभी कपड़े (द्रव्य) को छोड़कर) बाहर नहीं निकलता जबकि चुंबकीय रेखाएँ तो मेग्नेट के बाहर निकलती है। इसलिए वह पयार्य (भाव) स्वरूप नहीं होकर, द्रव्यात्मक ही है। जैनागमानुसार जैसे अपने शरीर के भीतर से द्रव्यात्मक छाया-परमाणु निकलते हैं, जिनकी वजह से प्रतिबिंब-फोटो इत्यादि लिए जा सकते हैं, उसी प्रकार लोहचुंबक में से द्रव्यात्मक चुंबकीय रेखाएँ निकलती हैं जिनकी वजह से लोहचुंबक लोहे को अपनी ओर खींच सकता है। यहाँ और एक बात ध्यान में रहे कि गति और घर्षण दोनों अलग चीज है। परन्तु जब कोई भी मूर्त (रूपवाला) पदार्थ गति करता है तो वह अपने प्रतिघाती पदार्थों के साथ अवश्य घर्षण उत्पन्न करता ही है। पुद्गल की गति धीमी हो तो घर्षण कम होता है और गति तेज हो तो घर्षण ज्यादा होता है। उसी तरह किसी भी पदार्थ को काटने के लिए किसी भी प्रकार की गति काम में नहीं आती, लेकिन निश्चित प्रकार की गति द्वारा उत्पन्न होने वाला विशिष्ट घर्षण ही उपयोगी बनता है। कन्डक्टींग रॉड जितनी ज्यादा तेजी से गति करता है उतना ज्यादा घर्षण उत्पन्न होता है और मैग्नेटीक लाइन्स ज्यादा तेजी से काटती है और इलेक्ट्रीसीटी ज्यादा उत्पन्न होती है। कन्डक्टींग रॉड की गति, चुंबकीय रेखाओं की काटने की स्पीड और मेग्नेटीक पावर-इन तीनों के गुणांक के अनुसार इलेक्ट्रीसीटी उत्पन्न होती है। तुलसी प्रज्ञा अप्रैल-जून, 2004 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110