Book Title: Tulsi Prajna 2004 04
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 46
________________ (चुम्बक) को तेजी से घुमाने के लिए पानी को ऊंचाई से नीचे गिराया जाता है । चुबंक पर अविष्ट तार में विद्युत् उत्पन्न हो जाती है । इस सारी प्रक्रिया में संघर्ष या घर्षण यानि कहीं पर नहीं होता । विद्युत् प्रेरण की प्रक्रिया में दूर से ही विद्युत् चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है । चुम्बकीय रेखाएं चुंबक के आसपास के आकाश में उत्पन्न प्रभाव मात्र है, कोई वस्तु या पदार्थ नहीं। उन्हें काटने का अर्थ भौतिक अर्थ में नहीं है। तीव्र गतिशील पदार्थ की गति के साथ घर्षण तब होता है जब दूसरा पदार्थ ठोस, तरल या बाष्प रूप में हो और उससे टकराए। चुंबकीय रेखाएं ऐसा पदार्थ है ही नहीं, इसलिए उन्हें पदार्थ मान कर संघर्ष या घर्षण को बताना संगत नहीं है। ठोस, तरल या बाष्प रूप में पुद्गल यानि " मेटर" और ऊर्जा रूप पुद्गल यानि 'एनर्जी' दोनों के अन्तर को समझना होगा। दोनों को एक रूप में मान कर उनके बीच घर्षण मानने का अर्थ है सर्वत्र ही सब पदार्थों में घर्षण होता ही रहता है 24 जिस रूप से संघर्ष या घर्षण का अभिप्राय संघर्ष - समुत्थित अग्नि की उत्पत्ति में आवश्यक माना गया है, वह तो स्पष्टतः दो ठोस पदार्थों के बीच होने वाले घर्षण से ही है । जैसे - चकमक पत्थरों को परस्पर रगड़ना । अरणी की लकड़ी की रगड़ से उत्पन्न होने वाली अग्नि भी संघर्ष - समुत्थित है। चुम्बक को गतिशील बनाने के लिए किसी भी तरीके को अपनाया जा सकता है। जनरेटर सेट में रोटर को घुमाने का कार्य अन्य तरीके से (डीजल आदि जलाकर) किया जाता है पर घर्षण से विद्युत् की उत्पत्ति नहीं की जाती । जहाँ तक पानी की हिंसा, तेल को जलाने की हिंसा आदि का संबंध है, यह स्पष्टतः हिंसा ही है । किन्तु हिंसा से निष्पन्न होने के पश्चात् उत्पन्न विद्युत् स्व जीव कहाँ से हो जाएगी ? रसोई बनाते समय विभिन्न जीवों की हिंसा की जाती है परन्तु उससे निष्पन्न भोजन स्वयं जीव नहीं होता। उसी प्रकार हिंसाजन्य होते हुए भी विद्युत् स्वयं सचित्त ते काय नहीं है। विद्युत् पैदा करने के अन्य तरीके हैं, जिनमें संघर्ष प्रसग ही नहीं आता, जैसे 1. 2. 3. 4. एसिड युक्त बेटरी में केवल जस्ते और एसिड की रासायनिक क्रिया विद्युत् उत्पन्न करती है 125 फोटो-इलेक्ट्रीक सेल में वल प्रकाश के द्वारा विद्युत् प्रवाह को निष्पादित किया जाता है । 26 ऊर्जा को कांच में से गुजर कर बिना घर्षण विद्युत् ऊर्जा पैदा सौर सेल में की जाती ड्राल (जो घड़ी आदि में लगते हैं) में भी रासायनिक प्रक्रिया द्वारा विद्युत् दा होती है, संघर्ष से नहीं 128 तुल ज्ञा अप्रैल-जून, 2004 Jain Education International For Private & Personal Use Only 41 www.jainelibrary.org

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