________________
उत्तर - तार में जो विद्युत्-प्रवाह बहता है, उसका परिवर्तन उष्मा के रूप में हो सकता है या किया जा सकता है। उष्णता के साथ जब तक अन्य सभी तेउकाय के लक्षण प्रगट न हो तब तक तेउकाय की उत्पत्ति नहीं मानी जा सकती। तार जब उष्मा को सहन नहीं कर सकता, तो गरम होकर पिघल जाता है। इसकी चर्चा हम कर चुके हैं । खुले तार में हाई पावर वाला करंट चलने पर ज्वलनशील पदार्थ मिल जाए तो अग्नि की उत्पत्ति हो सकती है, किन्तु इसका अर्थ यह कर लेना कि तार में प्रवहमान करंट स्वयं तेउकाय है, ठीक नहीं है। बाहर अग्नि पैदा करने के लिए चारों अनिवार्य घटक आवश्यक होंगे। विध्यात अग्नि की चर्चा हम कर चुके हैं। बुझी हुई या विध्यात अग्नि पहले प्रकट अग्नि रूप में होती है और बाद में ऊपर से बुझी हुई लगती है, भीतर जलती रहती है (अंतो अंतो झियायंति स्थ. 8/702 का यही तात्पर्य है) बिजली के तार के भीतर यह लागू नहीं होता है।
स्पार्क के विषय में भी हम चर्चा कर चुके हैं। क्रोधी मनुष्य की उपमा अतिज्वलनशील पदार्थ पर भी लागू होती है पर पेट्रोल आदि को अग्नि के रूप में नहीं माना जाता। शार्ट सर्किट से आग लगने में भी तेउकाय की उत्पत्ति के चारों घटक विद्यमान होते हैं। उसके बिना न शॉट सर्किट होता है, न आग लगती है।
मूल में एक ही बात को बहुत स्पष्ट समझना होगा कि अग्नि के रूप में विद्युत् के परिवर्तन की प्रक्रिया पूर्ण हुए बिना अग्नि पैदा नहीं होती, भले चाहे वह विद्युत् हाई वाल्टेज वाली हो, हाई एम्पीयर वाला करंट हो, स्पार्क हो या विजिबल रोशनी के रूप में हो।
जितने भी उदाहरण प्रश्न में दिए गए हैं, उन सब में ज्वलनशील पदार्थ (रूई, पेड़, आदमी आदि) और खुली हवा (ऑक्सीजन या ओजोन) दोनों का सम्पर्क उच्च तापमान वाली विद्युत् के साथ होता है। जहाँ ऐसा नहीं होता, वहाँ अग्निकाय नहीं हो सकती।
उष्णता जैसे अग्नि का गुण है, वैसे बिना अग्नि (या तेउकाय) भी उष्णता विद्यमान होती है, क्योंकि उष्णता अपने आप में पौद्गलिक है, निर्जीव है। विद्युत् का उष्णता में परिवर्तन मात्र"अग्निकाय" पैदा नहीं कर देता, जब तक कि साथ में ज्वलनशील पदार्थ और ऑक्सीजन-दोनों का संयोग न हो।
भगवती में अचित्त तेजोलेश्या के पुद्गल की उष्णता का इतना स्पष्ट उदाहरण है जो सोलह जनपद को जलाने की क्षमता रखते हैं।"
प्रश्न-15 - "बल्ब में बिजली के माध्यम से उत्पन्न हुआ प्रकाश भी इलेक्ट्रीसीटी की भाँति तेउकाय जीवस्वरूप ही है। इसका कारण यह है कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से करोड़ों इलेक्ट्रोन का समूह अत्यन्त वेग से स्थूल वायर में से पसार हो कर एकदम पतले टंगस्टन धातु के फिलामेंट में से पसार होता है तब जगह बहुत कम होने से तथा इलेक्ट्रोन का समूह अधिक मात्रा में होने से तथा उसका वेग बहुत तेज़ होने से बल्ब में रखे हुए फिलामेंट में अत्यन्त घर्षण
- तुलसी प्रज्ञा अंक 124
48
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org