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ऊपर शनि है । इस प्रकार २० योजन में सभी ताराएं हैं। ताराओं से १० योजन ऊपर सूर्य गति करता है, उसके ८० योजन ऊपर चन्द्रमा चलता है। इस प्रकार तारा रूप सब ज्योतिष चक्र ११० योजन चलता है। सूर्य विमान से ८० योजन ऊपर चंद्रमा का विमान है और उससे २० योजन ऊपर तारा है ।
अभिजित् नक्षत्र सब से आभ्यन्तर चलता है। मूल नक्षत्र सबसे वाह्य है । भरणी नक्षत्र सब से नीचा चलता है और स्वाति नक्षत्र सब नक्षत्रों से ऊंचा चलता है ।
चन्द्रमा का विमान ऊर्ध्वमुख अर्धकविठ के फल के संस्थान से संस्थित है, स्फटिक रत्नमय, अभ्युद्गत उत्सित प्रभाव वाला है । चन्द्र का विमान योजन लम्बा चौड़ा गोलाकार है, योजन जाड़ा है। सूर्य का विमान योजन लम्बा चौड़ा है २४ योजन जाड़ा है । दो कोस लम्बा चौड़ा और एक कोस जाड़ा ग्रहों का विमान है । एक कोस लम्बा चौड़ा और पाव कोस जाड़ा ताराओं का विमान है । ताराओं का यह प्रमाण उत्कृष्ट है जघन्य पांच सौ धनुष लम्बा चौड़ा और अढाइ सौ धनुष जाड़ा भी होता है ।
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तुलसी प्रशा
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